भारतीय राजनीति और खेल जगत के बीच आपसी संबंध अक्सर चर्चा का विषय रहे हैं। इस बार, ऐसा ही एक मामला सामने आया है जिसमें भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद और भारतीय कुश्ती महासंघ (WFI) के पूर्व प्रमुख बृज भूषण शरण सिंह पर छह महिला पहलवानों ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है। घटनाक्रम को देखते हुए, हाल ही में दिल्ली की एक अदालत ने इस मामले पर संज्ञान लेते हुए आरोप तय किए हैं।
आरोपों के अनुसार, सिंह पर भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 354 और 354A के तहत पांच महिला पहलवानों के लिए महिला की मर्यादा को भंग करने और यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए गए हैं। इसके अलावा, दो पीड़ितों के लिए IPC की धारा 506 (1) के तहत आपराधिक धमकी के आरोप भी तय किए गए हैं। इस मामले की छठी पीड़िता के आरोप, जो 2012 में लगाए गए थे, में सिंह को आरोपमुक्त किया गया है।
इस पूरे मामले में दूसरे आरोपी के रूप में WFI के पूर्व सहायक सचिव विनोद तोमर का भी नाम सामने आया है। तोमार पर एक पीड़िता के साथ आपराधिक धमकी देने के आरोप लगाए गए हैं। हालांकि, अभियोजन पक्ष ने तोमार को उकसाने के आरोप से आरोपमुक्त कर दिया है।
दिल्ली पुलिस ने पिछले वर्ष जून महीने में इस मामले में भूषण और तोमार के खिलाफ 1,500 पृष्ठ की आरोप पत्र दायर की थी, जिसमें चार राज्यों से कम से कम 22 गवाहों के बयान शामिल थे। पुलिस ने सिंह के खिलाफ POCSO अधिनियम केस को रद्द करने के लिए 550-पृष्ठ की रिपोर्ट भी दाखिल की थी, क्योंकि जिस पहलवान ने इस वारदात के समय नाबालिग होने का दावा किया था, उसने और उसके पिता ने सिंह के खिलाफ अपने आरोप वापस ले लिए थे।
इस घटनाक्रम के चलते, न केवल खेल जगत में बल्कि भारतीय राजनीति में भी हलचल मच गई है। मामले की गंभीरता को देखते हुए समाज के हर वर्ग से प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। आरोपों की जांच और मुकदमे की प्रक्रिया ने भारतीय न्याय प्रणाली में न्याय के प्रति आम जनता की अपेक्षाओं को एक बार फिर से उजागर किया है।
Deepak Rajbhar
मई 11, 2024 AT 09:24ओह बाप रे, फिर से राजनीति में खेल के साथ मिलाई शादी! 😏 सरकारी दर्शक तो यही देखना चाहते हैं कि कैसे दो बड़े आदमी अपनी ही टीम को बचाते‑बचाते खुद को बचा रहे हैं।
Manali Saha
मई 11, 2024 AT 10:31वाह क्या बात है!!! इस केस ने तो सबको चौंका दिया है!!!
Hitesh Engg.
मई 11, 2024 AT 11:38यह मामला सिर्फ एक राजनीतिक दांव नहीं, बल्कि भारतीय खेल संरचना की गहरी समस्याओं को उजागर करता है। पहली बात, जब एक सांसद खेल संघ को नियंत्रित करता है, तो हितों का टकराव स्वाभाविक हो जाता है। दूसरा, महिला पहलवानों का यौन शोषण एक गंभीर सामाजिक मुद्दा है जिस पर खुलकर चर्चा होनी चाहिए। तीसरा, न्यायिक प्रक्रिया में इतनी देर से निर्णय लेने से पीड़ितों का भरोसा टूट जाता है। चौथा, पीड़ितों के खिलाफ वही प्रणाली का प्रयोग करना जो उन्हें परेशान कर रही थी, एक दुष्चक्र बन जाता है। पाँचवाँ, मीडिया की भूमिका भी महत्वपूर्ण है; sensationalism के बजाय तथ्यात्मक रिपोर्टिंग की जरूरत है। छठा, सार्वजनिक विचारधारा को भी इस तरह के मामलों में पक्ष लेन‑देन से बचना चाहिए। सातवाँ, खेल में महिलाओं की सुरक्षा के लिए स्पष्ट नीतियों की कमी है। आठवाँ, सुरक्षा उपायों को लागू करने में राज्य सरकारों की लापरवाही स्पष्ट है। नौवाँ, इस केस में पुलिस की रिपोर्ट और पीड़ितों के बयान में अंतर देखना आश्चर्यजनक नहीं है। दसवाँ, इस तरह के मामलों में पीड़ितों को सामाजिक बंधन से मुक्त कर देना चाहिए। ग्यारहवाँ, राजनीतिक ताकतों को ये समझना चाहिए कि न्याय का पालन करना ही उनका असली कर्तव्य है। बारहवाँ, WFI जैसी संस्थाओं को अपने भीतर पारदर्शिता लानी होगी। तेरहवाँ, यदि ऐसे मामलों को नजरअंदाज किया जाता है तो भविष्य में और भी बड़े संकट उत्पन्न हो सकते हैं। चौदहवाँ, हमें यह सीख लेना चाहिए कि खेल संगठनों को जनहित में कार्य करना चाहिए, न कि व्यक्तिगत स्वार्थ में। पंद्रहवाँ, अंत में, इस केस का सही निष्पादन समाज में विश्वास की पुनर्स्थापना में मदद करेगा।
Zubita John
मई 11, 2024 AT 12:44भाइयो ये केस तो एकदम 'लाइफ़लाइन' जैसा है, जहाँ कोचिंग की बुनियाद ही हिल रही है। मसल्स के अलावा, अब एथलीट की मेंटल हेल्थ भी फोकस बनना चाहिए। ये सब 'ट्रेनिंग प्रोसेस' में एथिकल गाइडलाइन की कमी को दिखाता है।
gouri panda
मई 11, 2024 AT 13:51ऐसे मामले में दिल काँप उठता है! यह सिर्फ एक पुलिस रिपोर्ट नहीं, यह महिलाओं की आवाज़ का इंतजार है। हमें इस मुद्दे को हल्के में नहीं लेना चाहिए; यह समाज की बुराई का एना है।
Harmeet Singh
मई 11, 2024 AT 14:58हर अंधेरे के बाद एक उजाला आता है, और इस केस में भी सत्य की रोशनी अंततः चमकेगी। यह देखते हुए कि अदालत ने आरोप तय किए हैं, हमें आशा रखनी चाहिए कि न्याय शीघ्र मिलेगा। इस मुक़ाबले से न केवल पीड़ितों को ससक्तीकरण मिलेगा, बल्कि खेल जगत को भी स्वच्छ बनाता है। हमें सभी को साथ मिलकर इस दिशा में कदम बढ़ाना चाहिए।
patil sharan
मई 11, 2024 AT 16:04ओह, राजनीति और खेल की दोस्ती, जैसे बर्फ पर आग लगाना। 🙃
Nitin Talwar
मई 11, 2024 AT 17:11भाई लोग, इस सबके पीछे कुछ छुपा हुआ साजिश जरूर है, जैसे ही हम डिप्लॉयमेंट देखते हैं। 😒
onpriya sriyahan
मई 11, 2024 AT 18:18चलो मिलकर आवाज उठाएँ यह बहुत जरूरी है
Sunil Kunders
मई 11, 2024 AT 19:24ऐसी घटनाएँ शास्त्रीय प्रसंगों में निहित होते हैं।
suraj jadhao
मई 11, 2024 AT 20:31सही कहा! ✨💪
Agni Gendhing
मई 11, 2024 AT 21:38क्या!! अदालत ने फिर से वही पुरानी स्क्रिप्ट फॉलो की है!!! ऐसा लगता है कि जो भी शक्ति संरचना यहाँ है, वो सब कुछ छुपा रही है!!! 🙄
Jay Baksh
मई 11, 2024 AT 22:44देश की इज्जत को बचाने के लिये ऐसे लोग सजा पाएँ।
Ramesh Kumar V G
मई 11, 2024 AT 23:51वास्तव में, इस तरह के मामलों में कानूनी प्रावधानों की सही समझ आवश्यक है।
Gowthaman Ramasamy
मई 12, 2024 AT 00:58संदर्भ के लिए, धारा 354 और 354A का विस्तृत विवरण यहाँ उपलब्ध है 📚
Navendu Sinha
मई 12, 2024 AT 02:04समाज में परिवर्तन तभी संभव है जब हम तथ्यों को समझें और गहराई में जाँचें। न्याय के इस दौर में, हमें नैतिकता के साथ मिलकर आगे बढ़ना चाहिए। प्रत्येक पीड़िता की कुश्ती सिर्फ एक खेल नहीं, बल्कि उनके आत्मसम्मान का प्रतिबिंब है। इस बात को याद रखना चाहिए कि कानून की ताकत उसके निष्पादन में है। जब तक हम इस मुक़दमे को सच्चाई की रोशनी में देखेंगे, तब तक असंतोष नहीं रहेगा। हमें यह भी समझना चाहिए कि राजनीतिक प्रभाव ने इस प्रक्रिया को जटिल बना दिया है। फिर भी, अंत में न्याय विजयी होगा।
reshveen10 raj
मई 12, 2024 AT 03:11कोच का काम सिर्फ ट्रेनिंग नहीं, बल्कि प्रतिभा की सुरक्षा भी है।
Navyanandana Singh
मई 12, 2024 AT 04:18मनुष्य की बुराई का परिदृश्य कभी नहीं बदलता, लेकिन आशा की किरन फिर भी चमकती है; यह केस हमें याद दिलाता है कि शक्ति के दो पहलू होते हैं - एक जो उठाता है और एक जो दबाता है।
monisha.p Tiwari
मई 12, 2024 AT 05:24हम सभी को मिलकर इस समस्या का समाधान ढूँढ़ना चाहिए, बिना किसी पक्षपात के।
Nathan Hosken
मई 12, 2024 AT 06:31इस संदर्भ में, हम खेल प्रशासनिक गवर्नेंस की त्रि-आयामी संरचना को पुनर्मूल्यांकन कर सकते हैं, ताकि एथलीट सुरक्षा प्रोटोकॉल को एन्हांस किया जा सके।