क्या स्मृति ईरानी और अनुराग ठाकुर मोदी 3.0 में पाएंगे स्थान?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीसरे कार्यकाल के मंत्रिमंडल में कौन-कौन शामिल होंगे, यह सवाल अब चर्चा का विषय बन चुका है। स्मृति ईरानी, जिन्हें मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में महिला और बाल विकास मंत्री के पद से नवाजा गया था, इस बार लोकसभा चुनाव में पराजित हो गईं हैं। उन्हें उत्तर प्रदेश के अमेठी से कांग्रेस के किशोरी लाल शर्मा से 1.6 लाख से अधिक वोटों के अंतर से हार का सामना करना पड़ा। इसी तरह, अनुराग ठाकुर और नारायण राणे की भी मोदी की शपथ ग्रहण समारोह के पहले की बैठक से अनुपस्थिति ने संदेहों को और गहरा कर दिया है।
मोदी का निरंतरता पर जोर
मार्च के महीने में, नरेंद्र मोदी ने यह स्पष्ट कर दिया था कि वह अपने प्रमुख मंत्रियों को अपने साथ रखना चाहते हैं ताकि राष्ट्रीय योजनाएं और परियोजनाएं अगले चरण में सफलतापूर्वक आगे बढ़ सकें। लेकिन स्मृति ईरानी की चुनावी हार और ठाकुर और राणे की अनुपस्थिति ने कई सवाल उठा दिए हैं। क्या वे मोदी 3.0 के मंत्रिमंडल में शामिल होंगे या उनके बिना ही सरकार आगे बढ़ेगी?
अनुराग ठाकुर, जो हिमाचल प्रदेश की हमीरपुर सीट से सांसद हैं और सूचना एवं प्रसारण मंत्री के पद पर कार्यरत थे, वो भी इस बैठक में शामिल नहीं हुए। इनकी अनुपस्थिति ने अटकलों को जोर दिया कि शायद उन्हें इस बार प्रमुख मंत्रालय नहीं मिल पाएगा। सभी की नजरें अब इस पर टिकी हैं कि आखिर भाजपा क्या निर्णय लेगी।
नारायण राणे और उनका भविष्य
नारायण राणे, जो मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में माइक्रो, स्मॉल, और मीडियम एंटरप्राइजेज मंत्री थे, ने महाराष्ट्र की रत्नागिरी-सिंधुदुर्ग सीट से जीत हासिल की थी, लेकिन फिर भी इन्हें नई मंत्रिपरिषद में स्थान नहीं दिया जाने की चर्चा हो रही है। यह चर्चा उस समय और तेज हो गई जब वे प्रधानमंत्री की बैठक से भी अनुपस्थित रहे।
प्रमुख मंत्रियों की उम्मीदें
हालांकि, JP नड्डा, नितिन गडकरी, राजनाथ सिंह, पीयूष गोयल जैसे प्रमुख नेताओं के नाम मंत्रिपरिषद में शामिल किए जाने की उम्मीद की जा रही है। साथ ही, ज्योतिरादित्य सिंधिया, HD कुमारस्वामी (JDS), चिराग पासवान (LJP), राम नाथ ठाकुर (JDU), जितन राम मांझी (HAM), जयंत चौधरी (RLD), अनुप्रिया पटेल (अपना दल सोनेलाल), राममोहन नायडू (TDP), चंद्र शेखर पेम्मसानी (TDP), और प्रताप राव यादव (शिवसेना) भी शपथ ग्रहण कर सकते हैं।
अब देखना यह है कि क्या स्मृति ईरानी, अनुराग ठाकुर, और नारायण राणे को मंत्रिमंडल में स्थान मिलेगा या नहीं। इसमें कोई शक नहीं कि इनके आने या न आने पर भाजपा की आगामी नीति और कार्यशैली पर गहरा असर पड़ेगा।
onpriya sriyahan
जून 9, 2024 AT 21:08स्मृति ईरानी का नहीं होना वाकई में बड़ा सवाल है, पर हमें देखना चाहिए कि उनकी आवाज़ अभी भी जनता तक पहुँचती है या नहीं।
Sunil Kunders
जून 9, 2024 AT 21:10वास्तव में, यदि हम ऐतिहासिक कारकों को विश्लेषण करें तो यह स्पष्ट होता है कि केवल चुनावी परिणाम ही मंत्री चयन का एकमात्र मानक नहीं हो सकता।
suraj jadhao
जून 9, 2024 AT 21:20मोदी 3.0 की मंत्रिपरिषद बनाते समय अनुभव और चयनात्मक रणनीति दोनों को संतुलित करना पड़ेगा।
स्मृति ईरानी ने पिछली बार महिला और बाल विकास में कई पहल शुरू की थीं।
उनकी टीम में काम करने वाले लोगों ने बताया कि वह बहुत ही समर्पित और मेहनती हैं।
यदि उन्हें फिर से मौका मिला तो ये क्षेत्रों में और भी सुधार उम्मीद की जा सकती है।
अनुराग ठाकुर ने सूचना एवं प्रसारण में डिजिटल इंडिया को आगे बढ़ाया था।
उनके द्वारा शुरू किए गए कई कार्यक्रम अब भी ग्रामीण क्षेत्रों में असर दिखा रहे हैं।
नारायण राणे की माइक्रो, स्मॉल और मीडियम एंटरप्राइजेज नीति ने छोटे उद्योगों को दिये थे नए अवसर।
उनकी अनुपस्थिति से यह सवाल उठता है कि क्या वह अब प्रधानमंत्री की प्राथमिकता में नहीं रहे।
भजपा को चाहिए कि वह सभी गठबंधन और अनुभवी नेताओं को ध्यान में रखे।
मुख्य बात यह है कि विकास की रफ़्तार नहीं रुकनी चाहिए।
इसलिए पार्टी को चाहिए कि वह चुनावी पराजय के बावजूद कुशल नेताओं को जगह दे।
एक मजबूत टीम बनाकर यही संभव होगा कि देश को आगे ले जाया जा सके।
हम सभी को मिलकर इस चर्चा को सकारात्मक दिशा में ले जाना चाहिए।
जिनके पास बदलते भारत का विज़न है, उन्हें ही मंच मिलना चाहिए।
आइए हम सब मिलकर इस प्रक्रिया को सफल बनाएं 😊👍
Agni Gendhing
जून 9, 2024 AT 21:50ओह! फिर से वही कहानी???? सरकारजी ने फिर से अपने "गुप्त कारनामे" छुपा रखे हैं!!! क्या हमें अब भी उम्मीद करनी चाहिए?? अरे भाई, ये सब वही पुरानी साजिशें हैं!! हम सब देख रहे हैं, पर कोई नहीं बताता!!!
Jay Baksh
जून 9, 2024 AT 22:40देश का भविष्य वही देखेगा जो सच्चे भारत के लिये लड़ता है।