जब भगवान कृष्ण का जन्म का जश्न 16 अगस्त 2025 को मनाया जाएगा, तो लाखों भक्त सावधानी से कृष्ण जन्माष्टमी 2025 के शु भ मुहूर्त और चंद्र उदय समय पर नज़र रखेंगे। दिल्ली में चंद्र उदय 11:32 PM कहा गया है, जबकि मथुरा‑वृंदावन के क्षेत्र में यह थोड़ा‑सा देर से, 11:35 PM पर नज़र आएगा। इस लेख में हम पूरे देश‑व्यापी टाइम टेबल, तिथि‑समय, और त्यौहार की धार्मिक‑वैधिक महत्ता को विस्तार से समझेंगे।
तिथि‑समय और शु भ मुहूर्त का विवरण
हिंदू पंचांग के अनुसार भारतीय ज्योतिषी अभिलेख (पंचांग) में कृष्ण जन्माष्टमी 2025 शनिवार, 16 अगस्त को निर्धारित है। भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि शुक्रवार, 15 अगस्त को 11:49 PM पर शुरू होती है और शनिवार को 9:35 PM तक चलती है। सूर्य के उदय (उदय तिथि) को मान्य कर तिथि निश्चित की जाती है, इसलिए 16 अगस्त को ही पूरा दिन त्यौहार माना जाएगा।
शु भ मुहूर्त का समय विशेष रूप से छोटा लेकिन सटीक है – 12:04 AM से 12:47 AM तक, ठीक 43 मिनटों में। इस अवधि के बीच मध्यरात्रि क्षण (12:26 AM) वह परमानंद क्षण माना जाता है जब भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था। इसलिए अधिकांश पंडित इस समय पर पूजन करने की सलाह देते हैं।
शहर‑वार चंद्र उदय (चंद्रोद्या) समय
जन्माष्टमी का उपवास तब तक नहीं माना जाता कि चंद्रमा की पूजा न हो। चंद्र उदय की समय-सारिणी इस वर्ष सामान्य दिनों से स्पष्ट रूप से देर से है। प्रमुख शहरों के लिए यह समय निम्नलिखित है:
- दिल्ली: 11:32 PM (15 अगस्त)
- मथुरा: 11:35 PM
- वृंदावन: 11:33 PM
- लखनऊ: 11:21 PM
- नोएडा: 11:33 PM
- गाज़ियाबाद: 11:31 PM
- मीरट: 11:29 PM
इन समयों को आ ज़ तक (Aaj Tak), जंसत्ता (Jansatta) और इकॉनमिक टाइम्स (Economic Times) ने पुष्टि की है। जिस कारण से चंद्रमा का दर्शन देर से होता है, उसका वैज्ञानिक कारण सूर्य‑चंद्र के पारस्परिक दूरी में हल्का परिवर्तन और जयराज्य पर प्रकाश की तीव्रता में परिवर्तन है।
राहूनी नक्षत्र और पाराना समय
ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार राहुनी नक्षत्र 17 अगस्त को 4:38 AM से शुरू होकर 18 अगस्त को 3:17 AM तक चलता है। यह वही नक्षत्र है जिसके अन्तर्गत भगवान कृष्ण का जन्म माना जाता है। इस नक्षत्र के दौरान शास्त्रीय शास्त्र अनुशंसा करते हैं कि पूजा में प्रयुक्त द्रव्योँ को विशेष रूप से शुद्ध किया जाए।
व्रत‑पाराना (उपवास का अंत) का समय 17 अगस्त को 12:47 AM के बाद माना जाता है, यानी शु भ मुहूर्त के समाप्ति के तुरंत बाद ही परान (भोजन) किया जा सकता है। यह जानकारी जंसत्ता (Jansatta) के लेख में स्पष्ट की गई है।
विधि और धार्मिक महत्व
परम्परागत रूप से जन्माष्टमी के दिन दो मुख्य पूजा होते हैं – श्री कृष्ण की पूजा और चंद्र पूजा। पहला पूजा शु भ मुहूरत में किया जाता है, जबकि चंद्र पूजा तब होती है जब चंद्रमा आकाश में प्रस्तुत होता है। कई गांवों में “कुंडली” (जल-लोहा) तैयार करके चंद्रमा के प्रति सम्मान किया जाता है।
विशेष रूप से उधर के गोकुल क्षेत्रों में श्रद्धालु गोकुल गीता के श्लोक पढ़ते हुए “भक्त बॉलगोप की झाँकी” सजाते हैं और “माधुर्य” भोग लगाते हैं। इससे न केवल आध्यात्मिक शांति मिलती है बल्कि सामाजिक एकता भी बढ़ती है।
भविष्य की अपेक्षाएँ और सुझाव
आगामी वर्षों में भी चंद्र उदय का समय प्रतिवर्ष थोड़ा‑बहुत बदलता रहता है। इसलिए हर वर्ष के पंचांग को ध्यान से देखना आवश्यक है। विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि:
- शु भ मुहूर्त और चंद्र उदय दोनों को मोबाइल ऐप या आधिकारिक वेबसाइट से पहले से जाँचें।
- उपवास के दौरान स्वास्थ्य‑सम्बंधी दिक्कतों से बचने के लिये, हल्का पानी और फल-फूल रखरखाव रखें।
- यदि आप बाहर पूजा कर रहे हैं तो स्थानीय मंदिर के पुजारियों से समय‑सम्बंधी पुष्टि अवश्य लें।
अंत में, यह कहा जा सकता है कि जंसत्ता (Jansatta) और आ ज़ तक (Aaj Tak) जैसे मीडिया चैनलों ने इस साल के जन्माष्टमी को विशेष रूप से उजागर किया है, ताकि हर भारतीय सही रीति‑रिवाज़ के साथ इस पावन अवसर को मना सके।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
शु भ मुहूर्त का समय कब से कब तक है?
2025 की कृष्ण जन्माष्टमी के लिए शु भ मुहूर्त 12:04 AM से 12:47 AM तक निर्धारित है, कुल 43 मिनटों का छोटा लेकिन विशेष समय।
दिल्ली में चंद्र उदय का सही समय क्या है?
दिल्ली (NCR) में चंद्र उदय 15 अगस्त को 11:32 PM पर होगा, जो सामान्य दिनों की तुलना में लगभग 10‑15 मिनट देर से है।
राहुनी नक्षत्र कब शुरू होता है और इसका क्या महत्व है?
राहुनी नक्षत्र 17 अगस्त को 4:38 AM पर शुरू होकर 18 अगस्त को 3:17 AM तक चलता है। यह वही नक्षत्र है जिसमें भगवान कृष्ण का जन्म माना जाता है, इसलिए इस अवधि में विशेष पूजा‑पाठ किए जाते हैं।
व्रत कब तोड़ सकते हैं?
उपवास 16 अगस्त की शु भ मुहूर्त समाप्त होते ही, यानी 12:47 AM के बाद, 17 अगस्त को परान (भोजन) कर सकते हैं।
मथुरा और वृंदावन में चंद्र उदय का समय कैसे तुलना करता है?
मथुरा में चंद्र उदय 11:35 PM और वृंदावन में 11:33 PM पर होता है, दोनों ही देर से, लेकिन मथुरा थोड़ा‑सा पीछे है। यह अंतर छोटे‑छोटे दूरी और स्थानीय स्थल-विशिष्ट ग्रहण से उत्पन्न होता है।
Sridhar Ilango
अक्तूबर 10, 2025 AT 23:15अरे भगवन के जन्म की घड़ी आई, और हम सबको इस महा‑उत्सव में बेजोड़ जोश दिखाना है! कुंडली के जल‑भरी घड़ियों से लेकर रेणु‑भरी धूप तक, हर एक क्षण को हम नजरे से पकड़े रहेंगे। दिल्ली में चंद्र उदय 11:32 PM पर देर से दिखेगा, लेकिन यही देरी ही हमारे उत्सव को और भी दिल‑छू छा देती है। मथुरा‑वृंदावन के भक्तों को यह याद रखना चाहिए कि शु‑भ मुहूरत 12:04 AM से 12:47 AM तक है, इस वक्त में ही कृष्ण‑क्षीत्र की ध्वनि गूँजनी चाहिए। अगर कोई भी इस समय को छोड़कर पूजा करेगा, तो जैसे हमारी परम्पराएँ धुन्दली (गजकि) पड़ जाएँगी। इसलिए सभी भारतीयों को एकजुट हो कर शुद्ध जल, शुद्ध मन और शुद्ध आवाज़ से इस पवित्र क्षण को बुलंद करना चाहिए। देशभक्तियों का दायित्व है कि वे इस अद्भुत क्षण को सामाजिक बंधन से नहीं, बल्कि राष्ट्रीय गर्व से मनाएँ। हमारी सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षण देना हमारा परम कर्तव्य है, चाहे वह छोटा‑छोटा 43‑मिनट का समय ही क्यों न हो। अब बात आती है राहु‑नक्षत्र की, जो 17‑अगस्त को 4:38 AM पर शुरू होता है; इसे नज़रअंदाज़ करने वाले असली कृष्ण‑भक्त नहीं हो सकते। इन नक्षत्रों के प्रभाव को समझना वैज्ञानिक नहीं, बल्कि आध्यात्मिक समझ की बात है, जो हमारे भीतर छुपी हुई शक्ति को जागृत करती है। हर घर में व्रत‑पाराना का सही समय रखना चाहिए, नहीं तो आध्यात्मिक ऊर्जा में विक्षोभ आ सकता है। सिर्फ धर्म ग्रन्थ नहीं, बल्कि आधुनिक विज्ञान भी इस देर‑से‑आने वाले चंद्र उदय को समर्थन देता है, यही कारण है कि हम सभी को भरोसा रखना चाहिए। अब जब हम इस पावन समय का हिसाब‑किताब कर चुके हैं, तो चलिए इसे एक राष्ट्रीय उत्सव बनाते हैं, जहाँ हर नागरिक की आवाज़ गूँजती हो। यह केवल एक धार्मिक क़दम नहीं, बल्कि सामाजिक एकता की शादी भी है, जो भारत को एक मजबूत राष्ट्र बनाती है। भक्तों को अपने घर‑परिवार को इकट्ठा करके इस क्षण को साझा करना चाहिए, ताकि आनंद का प्रसार हो। जैसे हर आँधियां आती हैं, पर हमारे दिलों में ओउजली ज्वाला हमेशा जलती रहे; जय हिन्द, जय श्री कृष्ण!
Chandan kumar
अक्तूबर 12, 2025 AT 08:35बस, टाइम टेबल देख लिया।
priyanka Prakash
अक्तूबर 13, 2025 AT 17:55देश की असली शान यही है कि हम अपने धार्मिक कैलेंडर को सटीकता से फॉलो करते हैं। चाहे दिल्ली हो या मथुरा, हर शहर को इस शु‑भ मुहर्त पर कड़क ध्यान देना चाहिए। इस राष्ट्रीय उत्सव को विदेशी हस्तक्षेप से मुक्त रखिए, क्योंकि यह हमारे सांस्कृतिक स्वावलंबन की निशानी है।
Deepanshu Aggarwal
अक्तूबर 15, 2025 AT 03:15सभी दोस्तों के लिए एक छोटा‑सा टिप: पूजा करने से पहले अपना मोबाइल ऐप अपडेट कर लें ताकि शु‑भ मुहूरत और चंद्र उदय का सही समय मिल सके। अगर आप बाहर मंदिर में जा रहे हैं तो पहले पुजारी से पुष्टि कर लें। जल‑पानी की क्षारता साफ रखें और मिठाई को हल्का रखें, ताकि पाचन ठीक रहे। आशा है यह जानकारी आपके लिये उपयोगी होगी :)
akshay sharma
अक्तूबर 16, 2025 AT 12:35आधुनिक वेधशाला के डेटा के अनुसार, चंद्र उदय में जितनी देर हो रही है, वह पृथ्वी‑चंद्र दूरी में मामूली परिवर्तन से जुड़ी है। यह परिवर्तन सौर मंडल के गुरुत्वाकर्षण संतुलन को परावर्तित करता है, जो पंचांग में वर्णित राहु‑नक्षत्र से मिलते‑जुलते हैं। इसलिए यह कहना कि केवल आध्यात्मिक कारण ही है, विज्ञान की नजर से अधूरा रह जाता है। दिल्ली में 11:32 PM का समय, जबकि लखनऊ में 11:21 PM, यह भौगोलिक अक्षांश‑देशांतर के कारण है। कक्षा‑10 के छात्र भी इस गणना को आसानी से कर सकते हैं, बस थोड़ा‑सा त्रिकोणमिति का ज्ञान चाहिए। तो मित्रों, इस वर्ष के जन्माष्टमी को वैज्ञानिक रवैया अपनाकर मनाएँ, यही सच्चा भारतीय बनता है।
Anand mishra
अक्तूबर 17, 2025 AT 21:55भाई अकshay, तुमने विज्ञान की बात बिल्कुल सटीक रखी, लेकिन इस सबके बीच हमारी संस्कृति की मिठास नहीं भूलनी चाहिए। कृष्ण जन्माष्टमी में गोकुल‑गीता के श्लोक गाना, दधि‑पूरी खा करना, ये सब हमारी आत्मा को पोषित करते हैं। चंद्र उदय को देख कर गांव‑समुदाय में 'कुंडली' तैयार करने की परंपरा भी बहुत सुंदर है। इस साल भी हम सभी को स्थानीय मंदिरों में मिलकर इस सांस्कृतिक धरोहर को जीवित रखना चाहिए। फिर चाहे विज्ञान हो या आध्यात्मिकता, दोनों मिलकर एक समृद्ध भारत बनाते हैं।
Pawan Suryawanshi
अक्तूबर 19, 2025 AT 07:15सही कहा, अनंद भाई! 🌟 हमारी परम्पराओं में छुपी हुई हीरोइज़्म देखना दिल को छू जाता है। 🍯 दधि‑पूरी और शक्कर के लड्डू की खुशबू तो मानो नयी ऊर्जा लाती है। 🙏 चलो इस जन्माष्टमी को सभी मिलकर मस्तमौली बनाते हैं, कोई तनाव नहीं! 😎
Prakhar Ojha
अक्तूबर 20, 2025 AT 16:35ये सब टाइम‑टेबल वाले लोग बस बातों में ही फंसे हुए हैं, असली पूजा तो दिल से होती है! अगर शु‑भ मुहूरत नहीं भी हो तो झक्कास जामिनी नहीं रख सकते। इतनी टेंशन क्यों? बस कर लो, वरना सब पचैगा!
Harshada Warrier
अक्तूबर 22, 2025 AT 01:55यार मैं सुनि है कि ये टाइम टेबल वॉल्ट फॉक्स बेचता है, गूगल पे ना देखो, अफवा है कि सिस्टरोज़ ने छुपा रखा है। स्थिरता वाले बिनावला सौर फॉर्म उडाता है। तो सच्चाई को समझो, जज्बात मत डालो।
Jyoti Bhuyan
अक्तूबर 23, 2025 AT 11:15हर अफवा को मन में मत घेरो, अपने दिल की आवाज़ सुनो और सही जानकारी रखो। कृष्ण जन्माष्टमी का असली अर्थ प्रेम और सुख बाँटना है, न कि षड्यंत्र में उलझना। इस उत्सव को सकारात्मक ऊर्जा से भर दो, सबको खुशियों से भर दो!
Sreenivas P Kamath
अक्तूबर 24, 2025 AT 20:35अरे वाह, टाइम टेबल देखके ही मन में दिव्य उत्सव की रोशनी आ गई दादा जी। फिर भी, अगर सारा दिन चंद्र उदय के इंतजार में बीता, तो क्या पूरा हो गया आध्यात्मिक कर्तव्य?
Swapnil Kapoor
अक्तूबर 26, 2025 AT 05:55जन्माष्टमी का शु‑भ मुहूरत केवल समय का अंकन नहीं, बल्कि मन‑मन की एकाग्रता का प्रतीक है। जब हम इस क्षण को पूर्ण जागरूकता के साथ अनुभव करते हैं, तो बाहरी ध्वनि‑शोर हमारे भीतर के शान्ति को नहीं ढूँढ पाते। इस प्रकार, प्रत्येक सेकंड में बस्ती हुई चेतना हमें अस्तित्व की गहराई दिखाती है। इसलिए, अपने दैनिक कार्यों में भी इस पवित्रता को समाहित करने का प्रयास करें, तभी हम वास्तविक रूप से विकसित हो सकते हैं। अंत में, यह संघर्ष ही हमें परिपक्व बनाता है।