मुंबई में मानसून के दौरान जलभराव का कारण और समाधान

मुंबई में मानसून के दौरान जलभराव का कारण और समाधान

मानसून के आते ही मुंबई में जलभराव और तबाही की स्थिति बन जाना मानो एक आम बात हो गई है। इस समस्या के पीछे कई कारण हैं, जिनमें से सबसे प्रमुख है मुंबई का पुराना और अव्यवस्थित ड्रेनेज सिस्टम। यह सिस्टम लगभग एक सदी पुराना है और न तो इसकी क्षमता ऐसी है कि यह भारी बारिश को संभाल सके, और न ही इसमें मॉडर्न ड्रेनेज सिस्टम जैसी सुविधाएं हैं।

पुराने ड्रेनेज सिस्टम की समस्याएं

मुंबई का ड्रेनेज सिस्टम लगभग 2000 किलोमीटर के सर्फेस ड्रेन्स और 400 किलोमीटर के अंडरग्राउंड ड्रेन्स से मिलकर बना है। इनमें से कई ड्रेन्स में सिल्ट जमा हो गई है और जगह-जगह छेद भी हो गए हैं, जिससे पानी का सही तरीके से बहाव नहीं हो पाता। जलभराव की समस्या का एक बड़ा कारण यह भी है कि 45 में से 42 ड्रेन्स में टाइडल गेट्स नहीं हैं, जिससे हाई टाइड के समय पानी वापस आकर शहर में और जलभराव कर देता है।

शहरीकरण और निर्माणकार्य

मुंबई जैसे मेट्रोपोलिटन शहर में तेजी से हो रही अर्बनाइजेशन और लगातार हो रहे निर्माण कार्य भी जलभराव की समस्या को बढ़ा रहे हैं। नई-नई बिल्डिंग्स और फ्लाईओवर बनने से पुराने ड्रेनेज सिस्टम पर और दबाव बढ़ जाता है और उन्हें और कमजोर कर देता है। इसके अलावा, रिहायशी इलाकों में ग्रीन स्पेस की कमी होने से बारिश का पानी जमीन के अंदर नहीं जा पाता और यही पानी फिर सड़कों पर भर जाता है।

कचरा प्रबंधन

कचरा प्रबंधन

कचरा प्रबंधन की भी इसमें बड़ी भूमिका है। मुंबई की जनता द्वारा फैलाई जाने वाली गंदगी, विशेषकर प्लास्टिक कचरा, ड्रेनेज सिस्टम को अवरुद्ध करता है। प्लास्टिक बैग्स, बोतलें और अन्य कचरा नालियों में फंस जाता है और पानी के प्रवाह को रोक देता है। छोटी दुकानों और बस्तियों में प्लास्टिक के इस्तेमाल की अधिकता भी इस समस्या को बढ़ाती है।

मुंबई नगर निगम की जिम्मेदारी

भले ही नागरिकों की ओर से भी योगदान है, लेकिन मुंबई नगर निगम की अकार्यक्षमता इस समस्या को और गंभीर बना देती है। समय पर ड्रेन की सफाई न होना, उचित रखरखाव का अभाव, और समस्या की जड़ों तक न पहुंचना, इन सब कारणों से हर साल मानसून में मुंबईवासी परेशान हो जाते हैं।

उचित कदमों की जरूरत

उचित कदमों की जरूरत

इस समस्याओं को सुलझाने के लिए तेजी से कुछ असरदार कदम उठाने की जरूरत है। सबसे पहले, ड्रेनेज सिस्टम का मॉडर्नाइजेशन किया जाना चाहिए जिससे यह भारी बारिश को संभाल सके। इसके साथ ही, टाइडल गेट्स की स्थापना भी आवश्यक है, ताकि हाई टाइड के दौरान पानी की वापसी रोकी जा सके।

इसके अलावा, शहरीकरण और निर्माण कार्यों को भी ध्यानपूर्वक प्लान किया जाना चाहिए, जिससे ड्रेनेज सिस्टम पर कम से कम दबाव पड़े। नागरिकों को भी कचरे के उचित निपटान और प्लास्टिक के कम उपयोग के बारे में जागरूक किया जाना चाहिए।

मुंबई नगर निगम को भी अपनी कार्यक्षमता सुधारनी होगी और ड्रेनेज सिस्टम की सफाई और रखरखाव नियमित रूप से करनी होगी। अगर यह सब संभव होता है, तो मुंबई में मानसून का स्वागत शांतिपूर्ण तरीके से किया जा सकता है और हर साल होने वाले जलभराव की समस्या से बचा जा सकता है।