सरिपोधा शनिवारम समीक्षा: नानी, एसजे सूर्याह की फिल्म बनी 'मास ब्लॉकबस्टर', प्रियंका मोहन ने दिल जीता

सरिपोधा शनिवारम समीक्षा: नानी, एसजे सूर्याह की फिल्म बनी 'मास ब्लॉकबस्टर', प्रियंका मोहन ने दिल जीता

सारांश

आजकल बॉक्स ऑफिस पर आने वाली फिल्मों की समीक्षा पहले ही हफ्ते में हो जाती है, लेकिन विवेक अत्रेय की निर्देशित फिल्म 'सरिपोधा शनिवारम' ने पहले ही दिन से ही धमाल मचा दिया है। 29 अगस्त को रिलीज हुई इस फिल्म ने अब तक मिली सभी समीक्षाओं में सकारात्मक प्रतिक्रिया पाई है। सोशल मीडिया प्लेटफार्म ट्विटर, जिसे अब 'एक्स' के नाम से जाना जाता है, पर भी फैंस ने इसे 'ब्लॉकबस्टर' कहा है। फिल्म में नानी ने मुख्य भूमिका में नजर आ रहे हैं, जबकि एसजे सूर्याह खलनायक की भूमिका में दिखाई दे रहे हैं।

फिल्म के किरदार और उनके निभाए गए किरदार

फिल्म में नानी ने सुर्या का रोल निभाया है और एसजे सूर्याह फिल्म के खलनायक दया के रूप में एक अलग तरह का किरदार पेश करते हैं। अन्य महत्वपूर्ण कलाकारों में मुरली शर्मा, प्रियंका अरुलमोहन, अदिति बालन, और साई कुमार भी शामिल हैं। प्रियंका मोहन ने अपने दमदार प्रदर्शन से दर्शकों का दिल जीत लिया है। उनके और नानी के बीच की केमिस्ट्री ने फिल्म को एक नया रूप दिया है। हर एक अभिनेता ने अपनी भूमिका को बखूबी निभाया है, जिससे फिल्म का पहला हाफ काफी प्रभावशाली बन गया है।

फिल्म का कथानक और इसकी विशेषताएँ

फिल्म का कथानक और इसकी विशेषताएँ

'सरिपोधा शनिवारम' की कहानी गुस्से की थीम पर आधारित है, लेकिन यह गुस्सा केवल तभी सही होता है जब यह दूसरों को साहस दिलाने का काम करे। फिल्म का पहला भाग काफी रोमांचक है और दर्शकों को बांधे रखता है। एसजे सूर्याह की मौजूदगी ने फिल्म को और ऊंचाइयों तक पहुंचाया है। फिल्म के दूसरे हाफ में कुछ क्षण थोड़े धीमे रहे, लेकिन कुल मिलाकर यह काफी गहन और उत्साहजनक रहा। कहानी का प्रवाह बहुत ही सहज और बेहतरीन है, जिससे दर्शक पूरी फिल्म में जुड़े रहते हैं। फिल्म का बैकग्राउंड म्यूजिक (बीजीएम) भी सराहा गया है और इसे कहानी के हिसाब से बिल्कुल सटीक तरीके से उपयोग किया गया है।

नानी और प्रियंका मोहन की भूमिका

नानी की अभिनय कला को एक बार फिर सराहा जा रहा है। वे जब भी स्क्रीन पर आते हैं, उनके अभिनय में एक अलग चमक दिखती है और इस फिल्म में भी उनका वही जादू नजर आया है। प्रियंका मोहन ने भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका में बेहतरीन प्रदर्शन किया है। उन्होंने न केवल अपने किरदार को जीवंत बनाया है बल्कि नानी के साथ उनकी केमिस्ट्री भी देखने लायक है।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फिल्म की लोकप्रियता

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फिल्म की लोकप्रियता

This

फिल्म की लोकप्रियता केवल भारत में ही नहीं है, बल्कि उत्तर अमेरिका में भी इसका जादू चल रहा है। वहां के 180 से अधिक लोकेशन्स पर इस फिल्म की एडवांस बुकिंग्स ओपन हो चुकी हैं और इसे 2,900 से अधिक टिकट्स की बिक्री के साथ US $60,157 (लगभग 49.98 लाख रुपये) की कमाई हो चुकी है। इससे साबित होता है कि फिल्म ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी बड़े पैमाने पर दर्शकों का ध्यान आकर्षित किया है।

फिल्म की सामरिक समीक्षा

'सरिपोधा शनिवारम' को एक 'प्रॉपर कमर्शियल सिनेमा' के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है। फिल्म में कई 'मास मोमेंट्स' हैं जो दर्शकों को बांधे रखते हैं। खासतौर पर नानी और प्रियंका मोहन के बीच की केमिस्ट्री को प्रशंसा मिल रही है। एसजे सूर्याह की मजबूत उपस्थिति ने फिल्म के खलनायक किरदार को एक नई ऊंचाई दी है।

समापन में, 'सरिपोधा शनिवारम' एक बहुत ही मनोरंजक और रोमांचक फिल्म है जिसे सभी को देखनी चाहिए। यह फिल्म न केवल अपने मनोरंजक तत्वों के लिए जानी जाएगी बल्कि इसके गहरे कथानक और दमदार अभिनय के लिए भी याद रखी जाएगी। आप भी इस वीकेंड पर इस मास ब्लॉकबस्टर का आनंद लीजिए।

6 टिप्पणि

  • Image placeholder

    nayan lad

    अगस्त 30, 2024 AT 03:06

    फ़िल्म की ऊर्जा काबिले‑तारीफ़ है, पहला हाफ तो जैसे जकड़ देता है। नानी‑प्रिया की केमिस्ट्री ख़ास है।

  • Image placeholder

    Govind Reddy

    अगस्त 30, 2024 AT 08:40

    जब हम गुस्से की थीम को देखते हैं, तो यह याद दिलाता है कि असली शक्ति भीतर से आती है। फिल्म इस विचार को दृश्य रूप में बयां करती है। संगीत की पृष्ठभूमि कहानी के साथ बारीकी से ताल मिलाती है। दर्शकों को महज मनोरंजन नहीं, बल्कि आत्म-विश्लेषण का अवसर देती है। इस तरह की फिल्में सांस्कृतिक संवाद को समृद्ध बनाती हैं।

  • Image placeholder

    KRS R

    अगस्त 30, 2024 AT 14:13

    भाई साहब, फ़िल्म का पहला हिस्सा वाकई धांसू है, लेकिन दूसरा भाग थोड़ा टेंशन कम कर देता है। एसजे का एंटागोनिस्ट वाला किरदार बेमिसाल है। नानी‑प्रिया की जोड़ी ने तो दिल जीत लिया। कुल मिलाकर फ़िल्म में बहुत मज़ा है।

  • Image placeholder

    Uday Kiran Maloth

    अगस्त 30, 2024 AT 17:00

    जैसा कि ऊपर उल्लेखित किया गया, फ़िल्म की कथा संरचना को दर्शाने वाले द्विआधारी मॉडल में प्रमुख तत्वों का विश्लेषण आवश्यक है। विशेष रूप से, नानी के अभिनयन में अभिव्यक्तिवाद का प्रयोग और प्रीता मोहन के प्रस्तुतीकरण में सामाजिक मानदंडों का पुनर्विचार स्पष्ट रूप से परिलक्षित होता है। इसके अतिरिक्त, संगीतात्मक पृष्ठभूमि में प्रयुक्त मोड्यूलर स्कोर का सिनेमैटिक प्रभाव पर गहरा प्रभाव पड़ता है। इस प्रकार, फिल्म केवल व्यावसायिक सफलता ही नहीं, बल्कि शैक्षणिक विमर्श के नए आयाम स्थापित करती है।

  • Image placeholder

    Deepak Rajbhar

    अगस्त 30, 2024 AT 22:33

    वॉल्यूम बढ़ाओ, ड्रामा ही ड्रामा! 🎭 फिल्म में कुछ भी नया नहीं, बस वही पुराना सस्पेंस। फिर भी बॉक्स ऑफिस में धूम मचा रहा है।

  • Image placeholder

    Hitesh Engg.

    अगस्त 31, 2024 AT 01:20

    सही कहा गया, फ़िल्म ने कई मायनों में दर्शकों को आकर्षित किया है। पहले हाफ में तीव्रता और गति का ऐसा मिश्रण है कि सिनेमा हॉल में धड़कनें तेज हो जाती हैं। नानी की अभिव्यक्ति में वह परिपक्वता झलकती है जो कई नई कलाकारों में नहीं देखी जाती। प्रियंका मोहन का संवाद डिलीवरी उतनी ही सटीक है जितनी फिल्म का संगीत संरचना। एसजे सूर्याह का खलनायक किरदार नायकों के सामने एक ठोस चुनौती पेश करता है, जो कथा में टेंशन जोड़ता है। पृष्ठभूमि संगीत का उपयोग कथानक के उतार‑चढ़ाव के साथ तालमेल बिठाता है, जिससे दर्शक भावनात्मक स्तर पर जुड़ाव महसूस करते हैं। फिल्म की निर्देशक विवेक अत्रेय की दृष्टि स्पष्ट है: हर दृश्य को एक संदेश के साथ प्रस्तुत करना। कथानक की गहराई में गुस्से की थीम को सामाजिक साहस के रूप में पुनः परिभाषित किया गया है, जो एक नई अंतर्दृष्टि प्रदान करती है। दर्शकों को साधारण मनोरंजन से परे एक चिंतनशील अनुभव मिलता है। प्रत्येक कलाकार ने अपने पात्र को विशिष्ट एंगल से प्रस्तुत किया, जिससे लाइट‑एनिमेटेड सीन भी जीवंत लगते हैं। बीच के हिस्से में थोड़ा धीमा पेसिंग है, पर यह फिल्म को संतुलित बनाता है। अंतरराष्ट्रीय बॉक्स‑ऑफ़स पर भी सफलता इस बात का प्रमाण है कि भारतीय सिनेमा की कहानी कहने की शक्ति वैश्विक स्तर पर सराही जा रही है। फिल्म की तकनीकी पहलु, जैसे सिनेमैटोग्राफी और साउंड डिजाइन, पेशेवर स्तर पर हैं। कुल मिलाकर, सरिपोधा शनिवारम फिल्म ने न केवल समीक्षकों को बल्कि आम दर्शकों को भी संतुष्ट किया है। अगली बार जब आप वीकेंड पर फ़िल्म देखने जाएँ, तो इस ब्लॉकबस्टर को जरूर जोड़ें।

एक टिप्पणी लिखें