ICC विश्व टेस्ट चैंपियनशिप, एक दीर्घकालिक टेस्ट क्रिकेट टूर्नामेंट है जो अंतरराष्ट्रीय टीमों को अंक आधारित लीग में लड़ाता है. Also known as विश्व टेस्ट खिताब को समझने के लिए पहले टेस्ट क्रिकेट को देखिए, जहां प्रत्येक मैच पाँच दिन तक चलता है और दोनो टीमों को दो इनिंग्स मिलती हैं। यह फॉर्मेट ही वह आधार है जिस पर ICC, अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद, खेल के नियम और कैलेंडर तय करती है अपना पॉइंट सिस्टम बनाती है। इस सिस्टम में हर जीत, ड्रॉ और बीट ऑड्स को अंक देकर टीमों की टेस्ट रैंकिंग, एक तालिका जिसमें क्रमांक तय होता है कि कौन टीम अंतिम फाइनल में पहुँचेगी तय होती है। सरल शब्दों में, ICC विश्व टेस्ट चैंपियनशिप का गहरा संबंध इन तीन हिस्सों से है – फॉर्मेट, अंक प्रणाली और रैंकिंग।
जब आप इस चैम्पियनशिप की बात सुनते हैं, तो सबसे पहले दिमाग में प्वाइंट सिस्टम, वर्गीकरण के लिए इस्तेमाल होने वाला अंक ढांचा, आता है. टीम को जीत पर 12 अंक, ड्रॉ पर 4 अंक और हार पर कोई अंक नहीं मिलता। कुछ मैचों में बोनस पॉइंट भी मिलते हैं जैसे कि तेज़ रन‑रेट पर। इस प्रणाली की वजह से हर टूर का हर खेल मायने रखता है, क्योंकि एक अतिरिक्त दो अंक फाइनल में जगह बदल सकता है। दूसरी ओर, टेस्ट रैंकिंग को अक्सर ‘लीडरबोर्ड’ कहा जाता है – यह दर्शाता है कि कौन टीम विश्व टेस्ट शीर्ष पर है। रैंकिंग सिर्फ अंक नहीं, बल्कि टीम की स्थिरता, विरोधी की ताकत और घरेलू/अंतरराष्ट्रीय परिस्थितियों को भी दर्शाती है। अंत में, ICC की भूमिका केवल नियम बनाने तक सीमित नहीं। वह कैलेंडर तय करता है, ड्रॉ बनाता है और फाइनल के लिए वेंडर चुनता है। जब आप इस त्रिकोण (प्वाइंट सिस्टम + रैंकिंग + ICC) को समझते हैं, तो आप टेस्ट क्रिकेट के बड़े चक्र को भी समझ पाते हैं।
निचे आपको वही लेख मिलेंगे जो इस व्यवस्था को रोज‑रोज़ की खबरों में जोड़ते हैं – चाहे वह टेस्ट सीरीज़ का परिणाम हो, कोई बड़ी रैंकिंग बदलाव हो या नया पॉइंट नियम का असर। ये पोस्ट आपको न सिर्फ आँकड़े दिखाते हैं, बल्कि बताते हैं कि अगले कदम में कौन सी टीम को अधिक मौका मिल सकता है, क्यों कुछ खिलाड़ी टॉप पर हैं, और कौन से मैच फाइनल दिशा तय करेंगे। अब चलिए, नई टेस्ट खबरों, विश्लेषणों और आगामी टूर की जानकारी के साथ इस बड़े खेल के ताज़ा पल देखते हैं।