विवादों के बीच लोक सभा में वक्फ संशोधन बिल पास
लोक सभा ने वक्फ संशोधन बिल, 2025 को 288-232 मतों के अंतर से पास कर लिया। यह फैसला लगभग 12 घंटे चली बहस के बाद आया, जिसमें गहरी राजनीतिक विरोध की आवाजें सुनाई दीं। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता केसी वेणुगोपाल ने इस विधेयक के खिलाफ जोरशोर से आवाज उठाई और सरकार पर इसे 'जल्दबाजी में थोपने' का आरोप लगाया। उनके अनुसार, इस विधेयक को प्रस्तुत करने से पहले पर्याप्त चर्चा और व्यवस्थापन नहीं किया गया था।
गृह मंत्री अमित शाह ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि यह विधेयक व्यापक जांच और विश्लेषण के बाद लाया गया है। उन्होंने कहा कि इस पर एक संयुक्त संसदीय समिति (JPC) के माध्यम से विस्तृत विचार-विमर्श हुआ, जिसमें 25 राज्यों के 284 प्रतिनिधियों और वक्फ बोर्डों ने हिस्सा लिया। शाह ने बताया कि विधेयक के उद्देश्यों में वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन को सुव्यवस्थित करना, पारदर्शिता बढ़ाना और धार्मिक भूमि के दुरुपयोग को रोकना शामिल है।
इस बिल में कई महत्वपूर्ण प्रावधान शामिल हैं, जैसे कि वक्फ रिकॉर्ड का अनिवार्य डिजिटलीकरण, वक्फ न्यायाधिकरणों द्वारा निगरानी को बढ़ाना और सरकारी संपत्तियों के स्वामित्व विवादों की जांच के लिए जिला कलेक्टरों को नए अधिकार देना। हालांकि, विपक्ष ने इस विधेयक को मुसलमानों के अधिकारों की कमजोर करने वाला बताया है।

AIMPLB ने की बिल की आलोचना
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने इस विधेयक को अदालत में चुनौती देने का वादा किया है, इसे 'साम्प्रदायिक रूप से प्रेरित' कानून कहा है जो मस्जिदों और दरगाहों जैसी मुस्लिम संपत्तियों को लक्षित करता है। उन्होंने चिंता जताई है कि यह विधेयक मुसलमानों की धार्मिक और सांस्कृतिक अधिकारों को कमजोर कर सकता है। अमित शाह ने यह स्पष्ट किया है कि गैर-मुस्लिम केवल प्रशासनिक कार्यों में सहयोग करेंगे, धार्मिक कार्यों में नहीं।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि राज्यसभा इस विधेयक पर किस प्रकार विचार करती है।
Uday Kiran Maloth
अप्रैल 3, 2025 AT 01:30वक्फ संशोधन बिल के पारित होने पर संसद प्रक्रिया के कई तकनीकी आयाम स्पष्ट हो गए हैं, विशेष रूप से अभिप्रेत पारदर्शिता और अभिलेखीय प्रबंधन को सुदृढ़ करने हेतु डिजिटलीकरण प्रविधि का उपयोग किया गया है। यह पहल अनुशासनात्मक निगरानी, वित्तीय अनुपालन और कानूनी प्रावधानों के समुचित कार्यान्वयन हेतु संस्थागत ढाँचा प्रदान करती है। सरकार द्वारा स्थापित संयुक्त संसदीय समिति (JPC) ने विविध‑विवादित राज्य प्रतिनिधियों के साथ विस्तृत मूल्यांकन किया, जिससे नीति‑निर्माण में बहु‑आयामी दृष्टिकोण सम्मिलित हुआ। इस विधेयक का लक्ष्य वक्फ संपत्ति के संरक्षण, किराया आय की उचित आवंटन तथा दुरुपयोग रोकना है, जो सामूहिक हित के लिए आवश्यक है। वैधता के संदर्भ में मौजूदा कानूनी फ्रेमवर्क के साथ समन्वय स्थापित करना अत्यावश्यक है, इसलिए इसे जल्दबाजी में थोपना उचित नहीं प्रतीत होता।
Deepak Rajbhar
अप्रैल 3, 2025 AT 01:38ओह, वाह! आखिरकार संसद ने “जल्द‑बाज़ी” में एक और बिल धकेल दिया, मानो कोई जल्दी‑से‑खाना पकाने की रेस हो 😒😂। ऐसे‑ऐसे कदम से तो जनता का भरोसा और भी “वक़्फ़” हो जाएगा, है न? सरकार के नुकसान‑लाई‑ती को उलझा‑उलझा करके, वे फिर से “सुरक्षित” कह रहे हैं कि इस बिल से सबको फायदा होगा। लेकिन जब बात वक्फ‑संबंधित अधिकारों की आती है, तो यह “सजावटी” बहस बस एक नाटक जैसा लग रहा है।
Hitesh Engg.
अप्रैल 3, 2025 AT 01:46वक्फ संशोधन बिल के कई पहलूयों पर विस्तृत चर्चा करना आवश्यक प्रतीत होता है। सबसे प्रथम, वक्फ रिकॉर्ड का डिजिटलीकरण एक महत्वपूर्ण कदम है, जो भविष्य में डेटा‑सुरक्षा और सूचना‑प्राप्यता को आसान बनाएगा। द्वितीय, वक्फ न्यायाधिकरणों को निगरानी में अधिक अधिकार देना, पारदर्शिता को बढ़ावा देगा और अवैध हस्तक्षेप को रोकने में सहायक होगा। तृतीय, जिला कलेक्टरों को संपत्ति‑विवादों की जांच का अधिकार देना, स्थानीय प्रशासन को सशक्त करेगा। यह कार्यप्रणाली, यदि सही ढंग से लागू की जाए, तो वक्फ‑संपत्तियों के दुरुपयोग की संभावनाएँ घटेंगी। चौथी बात यह है कि इस बिल में विभिन्न राज्य‑स्तर के प्रतिनिधियों की भागीदारी को महत्व दिया गया है, जिससे विविध‑प्रदेशीय हितों को सम्मिलित किया गया है। पाँचवीं, विधेयक के प्रवर्तन में वित्तीय ऑडिट के मानक स्थापित किए गए हैं, जो सार्वजनिक फंड की उचित उपयोगिता सुनिश्चित करेंगे। छठी, इस प्रक्रिया में मौजूदा धार्मिक‑कानून के साथ समन्वय आवश्यक है, ताकि किसी भी धार्मिक‑संवेदनशील मुद्दे को अनावश्यक रूप से उक्साया न जाए। सातवीं, यह बिल सामाजिक‑आर्थिक विकास के साथ-साथ सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण को संतुलित करने का प्रयास करता है। आठवीं, इस संबंध में जनसुधार की जरूरत पर बल दिया गया है, जो नागरिकों को सक्रिय रूप से भागीदारी के लिए प्रेरित करेगा। नवमी, यदि इस विधेयक को सक्षम रूप से लागू किया गया, तो वक्फ‑संपत्तियों की आय में संभावित वृद्धि देखी जा सकती है। दसवीं, इसके अलावा, तकनीकी‑संकुलन के माध्यम से प्रबंधन लागत घटेगी, जिससे राजस्व में सुधार होगा। ग्यारहवीं, यह पहल कई कानूनी‑जटिलताओं को सरल करेगा, जिससे प्रशासनिक बोझ कम होगा। बारहवीं, इस बिल के द्वारा स्थापित संस्थाएँ, यदि जवाबदेह रहें, तो जनता का भरोसा पुनः स्थापित हो सकता है। तेरहवीं, इसके विपरीत, यदि प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी रहे, तो विरोधी दलों द्वारा इसे “धर्म‑उत्पीड़न” का जरिया माना जा सकता है। चौदहवीं, इसलिए नहीं भूलना चाहिए कि नागरिक समाज और शैक्षणिक संस्थाओं को भी इस संवाद में शामिल किया जाए। पंद्रहवीं, इस प्रकार एक समुचित समन्वित दृष्टिकोण, वक्फ‑संपत्तियों के संरक्षण और विकास दोनों को संतुलित कर सकता है। सोलहवीं, अंत में, यह स्पष्ट है कि विधेयक के सफल कार्यान्वयन में सभी हितधारकों का सहयोग अनिवार्य है, और यही इसे प्रभावी बनाएगा।
Zubita John
अप्रैल 3, 2025 AT 01:56बिल्कुल, देखो भाई, इस बिल्के बारे में थोड़ा एंट्री से समझना पड़ेगा। मैं समझती हूँ कि डिजिटलीकरण बड़ा फायदेमंद है, पर कुछ लोग इसका “सुरखा” कहके अंडरस्टेट नहीं कर रहे। अगर सही तरह से लागू हो तो वक्फ प्रॉपर्टी में ट्रांसपेरेंसी आएगी, वरना बस शब्दों का खेल रहेगा। थिंक करो, अगर रिकॉर्ड सही के साथ अपडेट ना हो तो पुरानी समस्या फिर से उजागर हो सकती है। सो, हमें इस पे स्क्रैच से फोकस देना चाहिए।
gouri panda
अप्रैल 3, 2025 AT 02:03यह बिल हमारे भविष्य को खा रहा है!
Harmeet Singh
अप्रैल 3, 2025 AT 02:13बिलकुल सही कहा आप ने, परिवर्तन का हर कदम एक नई संभावनाओं की दिशा में कदम रखना है। जब तक हम सब मिलकर पारदर्शिता और जिम्मेदारी को अपनाते हैं, वक्फ संपत्तियों का बेहतर प्रबंधन स्वाभाविक रूप से सामने आएगा। इस प्रक्रिया में धैर्य और सकारात्मक सोच हमें दीर्घकालिक सफलता दिलाएगी। आशा है कि सभी हितधारक एकजुट होकर इस सिद्धान्त को वास्तविकता में उतारेंगे, जिससे सामाजिक एवं सांस्कृतिक समृद्धि प्राप्त होगी।