बॉलीवुड के मशहूर अदाकार सोनाक्षी सिन्हा और ज़हीर इकबाल ने सिविल शादी के माध्यम से अपने सात साल पुराने रिश्ते को आधिकारिक तौर पर पति-पत्नी का नाम दे दिया। मुंबई स्थित सोनाक्षी के निवास पर आयोजित इस सिविल शादी समारोह में केवल परिवार और करीबी दोस्तों की उपस्थिति में यह खास लम्हा साझा किया गया।
सात साल का सफर: एक नजर
सोनाक्षी और ज़हीर का यह अद्वितीय सफर सात सालों का है, जिसमें दोनों ने एक-दूसरे का साथ दिया और अपने रिश्ते को पूरी गंभीरता और समझदारी से निभाया। दोनों ने अपने रिश्ते को मीडिया से दूर रखा और अपनी निजी जिंदगी को गुप्त रखने की कोशिश की। लेकिन अब इस महत्वपूर्ण मौके पर, उनका प्यार और प्रतिबद्धता सबके सामने है।
सिविल शादी की प्रक्रिया
सोनाक्षी और ज़हीर की शादी विशेष विवाह अधिनियम के तहत हुई, जो किसी भी धार्मिक रस्मों रिवाजों से मुक्त है। इस अधिनियम के माध्यम से की गई शादी यह दर्शाती है कि उनका रिश्ता किसी भी धार्मिक या सामाजिक बंधनों से परे है। ज़हीर के पिता इक़बाल रतनसी ने भी स्पष्ट किया कि यह शादी किसी भी धार्मिक रीति-रिवाजों का पालन नहीं करती और सोनाक्षी के इस्लाम धर्म अपना लेने की अफवाहों को भी खारिज किया। इस शादी ने यह संदेश दिया कि यह प्रेम और समझ का मिलन है, जो धार्मिक सीमाओं से बिल्कुल अलग है।
पूर्व शादी समारोह और रस्में
शादी के पहले, सोनाक्षी के घर कुछ पूर्व शादी समारोह और रस्में हुईं जिनमें उन्होंने पारंपरिक तरीके से इन रस्मों को निभाया। इन रस्मों में केवल परिवार और कुछ करीबी मित्रों ने हिस्सा लिया। सोनाक्षी की करीबी मित्र एवं 'हीरामंडी' सह-कलाकार अदिति राव हैदरी और उनके मंगेतर सिद्धार्थ भी इस समारोह में शामिल हुए।
बस्तीने में स्टार-स्टडेड रिसेप्शन
शादी के बाद, सोनाक्षी और ज़हीर एक भव्य रिसेप्शन का आयोजन मुंबई के बस्तीने रेस्तरां में कर रहे हैं। इस रिसेप्शन में बॉलीवुड के नामचीन सितारों के शामिल होने की संभावना है। यह एक ऐसा मौका होगा जब फिल्म उद्योग के बड़े-बड़े सितारे एक साथ मिलकर इस जोड़े की खुशी में शामिल होंगे।
सोनाक्षी और ज़हीर दोनों ही अपने व्यक्तिगत मुद्दों पर निजी रूप से चर्चा रखने में विश्वास करते हैं, लेकिन उनकी शादी ने उनके प्यार की कहानी को नए रंग दिए हैं और उनकी प्रतिबद्धता को सबके सामने उजागर किया है।
इस सिविल शादी के माध्यम से, सोनाक्षी और ज़हीर ने यह प्रदर्शित किया है कि उनका रिश्ता केवल प्रेम, भरोसे और समझदारी पर आधारित है, जो किसी भी धार्मिक और पारंपरिक सीमाओं से अधिक महत्वपूर्ण है। उनकी इस शादी ने कई युवाओं को प्रेरणा दी है, जो अपनी ज़िंदगी को नए और स्वतंत्र विचारों से जीना चाहते हैं।
इस जोड़े को उनकी इस नई पारी के लिए ढेर सारी शुभकामनाएं!
nayan lad
जून 24, 2024 AT 00:30सात साल साथ रहना खुद में एक बड़ी जीत है, उन्हें बधाई।
Govind Reddy
जुलाई 4, 2024 AT 02:10समय की धारा में दो लोग जब एक ही दिशा में बहते हैं, तो उनका मिलन मात्र एक घटना नहीं बल्कि एक विचार की अभिव्यक्ति है। यह सिविल बंधन उनके समग्र समझदारी और आत्मनिर्भरता को दर्शाता है।
KRS R
जुलाई 14, 2024 AT 03:50भाई, सात साल तक साथ रहने के बाद सिविल शादी करना कोई छोटी बात नहीं है, तो देर किस बात की?
Uday Kiran Maloth
जुलाई 24, 2024 AT 05:30सांस्कृतिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो यह उदाहरण सामाजिक संरचना में वैविध्य के प्रति एक सकारात्मक संवाद प्रस्तुत करता है, जहाँ पारंपरिक रीति-रिवाज़ों से परे व्यक्तिगत अभिव्यक्ति को महत्व दिया गया है।
Deepak Rajbhar
अगस्त 3, 2024 AT 07:10वाओ, अब तो सबको सिविल शादी की लाली लहर पकड़नी पड़ेगी 😏
Hitesh Engg.
अगस्त 13, 2024 AT 08:50सोनाक्षी और ज़हीर का सिविल शादी का फैसला वास्तव में कई सामाजिक पहलुओं को छूता है।
पहले, यह दिखाता है कि रिश्तों में धर्म या परम्परा का दायरा अब सीमित नहीं रहा।
दूसरा, यह युवा पीढ़ी को यह संदेश देता है कि व्यक्तिगत चुनावों को सम्मानित किया जाना चाहिए।
तीसरा, ऐसे कदम से पारिवारिक दबाव कम होता है और दोनों को अपनी जिंदगी अपनी शर्तों पर जीने की आज़ादी मिलती है।
चौथा, इस प्रकार की शादीें अक्सर व्यक्तिगत स्वायत्तता की बात करती हैं, जिससे सामाजिक समानता को बढ़ावा मिलता है।
पांचवा, यह स्पष्ट करता है कि कानूनी तौर पर मान्य बंधन रखना अब विचारों के साथ भी जुड़ जाता है।
छठा, इस निर्णय ने कई विवाहित दंपतियों के लिए एक नया मानक स्थापित किया है।
सातवाँ, मीडिया को अब इस तरह की निजी झलकियों को कम sensationalize करके रिपोर्ट करना चाहिए।
आठवाँ, इस घटना से हमें यह भी समझ में आता है कि अब भावनात्मक बंधन को केवल धार्मिक रूप से नहीं बल्कि कानूनी ढाँचे में भी मजबूत किया जा सकता है।
नवां, इस कदम से सामाजिक धारणाओं में बदलाव की संभावना बनती है।
दसवाँ, कई लोग इसे व्यक्तिगत स्वतंत्रता की जीत के रूप में देखेंगे।
ग्यारहवाँ, भविष्य में ऐसे निर्णयों के कारण वैवाहिक संस्थान में विविधता बढ़ेगी।
बारहवाँ, यह शादी उन लोगों के लिये प्रेरणा का स्रोत बन सकती है जो अपने रिश्ते को गुप्त रखने की कोशिश करते थे।
तेरहवाँ, इस प्रकार के उत्सवों में परिवारिक समर्थन का भी बड़ा महत्व है।
चौदहवाँ, यह देखना दिलचस्प है कि इस तरह की सिविल शादी में किस हद तक परम्परागत रिवाज़ों को अनदेखा किया गया।
पंद्रहवाँ, अंत में यह कहा जा सकता है कि व्यक्तिगत खुशियों को सम्मानित करने में ही समाज की प्रगति निहित है।
Zubita John
अगस्त 23, 2024 AT 10:30वाह भाई, अब तो हरु राज़गीरी नहीं रहेगी, सिविल वैडिंग मज़ेदार है! 😎
gouri panda
सितंबर 2, 2024 AT 12:10ओह माय गॉड! ये शादी तो एकदम फिल्मी ड्रामा जैसा लग रहा है, एंटी-ड्रामा पर कमेंट नहीं कर सकती! 🙌
Harmeet Singh
सितंबर 12, 2024 AT 13:50यह दो दिलों की कहानी हमें याद दिलाती है कि सच्चा प्यार हमेशा अपना रास्ता खुद बनाता है, चाहे वह कोई भी ढांचा हो।
patil sharan
सितंबर 22, 2024 AT 15:30सिविल शादी में भी फ्यूजन हट्टी नहीं है।
Nitin Talwar
अक्तूबर 2, 2024 AT 17:10इसी वजह से अब विदेशियों को भी हमारे वैवाहिक प्रोटोकॉल में घुसना मना है 😊
onpriya sriyahan
अक्तूबर 12, 2024 AT 18:50हमें देखना चाहिए कि सच्ची खुशी वही है जो दिल से आए और बाहर से नहीं देखी जाए
Sunil Kunders
अक्तूबर 22, 2024 AT 20:30सामाजिक संरचनात्मक परिप्रेक्ष्य में यह एक नवाचारात्मक चरण दर्शाता है, जो विद्यमान वैवाहिक मानदंडों को पुनर्संरचित करता है।
suraj jadhao
नवंबर 1, 2024 AT 21:10🎉🎉 इस प्यार को बधाई, आगे भी सफलता की लहरें! 🎉🎉
Agni Gendhing
नवंबर 11, 2024 AT 22:50क्या बात है!! आखिर किसने तय किया कि शादी सिर्फ धार्मिक रीति-रिवाज़ों से ही होनी चाहिए???!! 😒🙄
Jay Baksh
नवंबर 22, 2024 AT 00:30देश की शुद्धता को देखो, ये सिविल नहीं, असली मिलन है!