जब बात क्रिप्टो टैक्स, डिजिटल मुद्रा से प्राप्त आय पर लगने वाला आयकर. Also known as क्रिप्टो कर, it भारत में वित्तीय नियमों के तहत तय किया गया है और हर ट्रेडर को रिपोर्ट करना अनिवार्य है। पहले सालों में कई लोग इसे अनदेखा कर देते थे, पर अब सरकार की नीति स्पष्ट है: अगर आप बिटकॉइन, एथीरियम या कोई भी क्रिप्टोकरेंसी, डिजिटल एसेट जो ब्लॉकचेन पर काम करती है खरीदते‑बेचते हैं, तो उसकी लाभ‑हानि को आयकर, भारत का मुख्य कर ढांचा में शामिल करना पड़ेगा। यही पहला क्रिप्टो टैक्स का मूल सिद्धान्त है – व्यावसायिक या व्यक्तिगत लेन‑देनों से उत्पन्न आय को कर नियमों के अनुसार घोषित करना।
वास्तव में क्रिप्टो टैक्स तीन प्रमुख क्षेत्रों को कवर करता है: (1) ट्रेडिंग से हुई कैपिटल गैन्स, (2) स्टेकिंग या लेंडिंग से मिलने वाला ब्याज, और (3) एअरड्रॉप या फॉरक्लोज़ जैसी मुफ्त टोकन वितरण से मिली वैल्यू। इनमें से प्रत्येक का कर‑दर अलग‑अलग हो सकता है, पर सभी को फॉर्म 16‑ए या आयकर रिटर्न में सही ढंग से भरना ज़रूरी है। उदाहरण के तौर पर, यदि 2023‑24 वित्तीय वर्ष में आपने 5 लाख रुपये का बिटकॉइन लाभ कमाया, तो वह टैक्सेबल कैपिटल गैन्स माना जाएगा और इस पर 30 % कर (साथ में सेक्शन 43 के तहत सर्टिफिकेट फी भी) लगेगा। इसी तरह, स्टेकिंग से मिलने वाला 2 लाख रुपये की आय को ‘अन्य आय’ के तहत 30 % टैक्स के साथ सॉर्ट आउट कर दिया जाता है।
यदि आप अपने क्रिप्टो लेन‑देनों को सही समय पर रिपोर्ट नहीं करेंगे, तो जुर्माना 1 % से 25 % तक हो सकता है, या यहाँ तक कि जेल की सजा भी संभव है। इसलिए नोटबुक या एक्सेल में हर खरीद‑बिक्री का रिकॉर्ड रखना अस्सी‑पचास प्रतिशत मामलों में मदद करता है। सरकार ने 2022 में टैक्स फाइलिंग के लिए 10 जाने तक के ट्रेड की रिपोर्ट को स्वचलित करने की दिशा में डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म की क्लाउड‑बेस्ड एपीआई जारी की थी। इस सुविधा को इस्तेमाल करके आप अपने ब्रोकर या एक्सचेंज से सीधे डेटा खींच सकते हैं और आईटीआर‑2 फ़ॉर्म में भर सकते हैं।
एक और अहम पॉइंट यह है कि क्रिप्टो टैक्स सिर्फ इंडिविडुअल नहीं, बल्कि कंपनियों और फंड्स पर भी लागू होता है। अगर आपके पास ट्रेडिंग कंपनी है या आप एसेट मैनेजमेंट फर्म चलाते हैं, तो आपको फॉर्म 3 और 11 में विस्तृत लेजर जमा करना होगा। यहाँ तक कि छोटे स्तर के इन्वेस्टर्स को भी ब्लॉकचेन‑आधारित एपीआई के माध्यम से कोई‑न-कोई रिपोर्टिंग टूल अपनाना पड़ेगा, जिससे टैक्स ऑडिट रिव्यू आसान हो जाता है।
तो, अब जब आप समझ गए हैं कि क्रिप्टो टैक्स क्या है, कौन‑से एसेट्स पर यह लागू होता है, और कैसे रिपोर्ट करना चाहिए, तो नीचे दी गई लेख सूची में आपको विस्तृत गाइड, केस स्टडी और अपडेट मिलेंगे। चाहे आप शुरुआती हों या अनुभवी ट्रेडर, यहाँ की कवरेज आपके सवालों के जवाब देगा और आपको टैक्स से जुड़ी परेशानियों से बचाएगा। चलिए, अगला कदम उठाते हैं और इस टैक्स लैंडस्केप में सही दिशा में आगे बढ़ते हैं।