जब बात कृष्ण जन्माष्टमी 2025, भगवान कृष्ण के जन्म को याद करने वाला प्रमुख हिन्दू तीज है. इसे अक्सर जन्मजन्मा कहा जाता है, और इस दिन धूप, आरती और संगीत से गाँव‑शहर की सड़कों पर उजाला छा जाता है। इस तिथि में कई अलग‑अलग रीति‑रिवाज जुड़े होते हैं, जो पीढ़ी‑दर‑पीढ़ी संजोएँ जाते हैं।
मुख्य व्रत, भोजन‑पदार्थ में विशेष प्रतिबंध और आध्यात्मिक जागरूकता का पालन कई घरों में किया जाता है। आमतौर पर कच्चा मालपुआ, फल, नारीयल पानी और कुछ मीठे पदार्थ उकेरते हैं, जबकि छाछ और पनीर परहेज रखते हैं। इस व्रत का मूल उद्देश्य दिल को शुद्ध करना और भगवान कृष्ण की बाल्यकालिक लीलाओं में डूबना है। भगीरथी जैसा पवित्र स्थल इस व्रत का केंद्र माना जाता है, जहाँ श्रद्धालु सुबह‑सुबह स्नान कर मंदिर में प्रवेश करते हैं।भगीरथी की गलियों में की जा रही दही‑हांडी, एक पारंपरिक खेल जिसमें दही को ऊँची हांडी में रखकर गिराने की कोशिश होती है इस त्यौहार को बचपन के रोमांच से भर देती है; आज‑कल भी युवा पीढ़ी इस प्रतियोगिता को बड़े उत्साह से देखती है और अक्सर जीतने के लिए कई रणनीति अपनाती है। इस प्रकार दही‑हांडी का रिवाज ताजगी, ऊर्जा और सामुदायिक मिलन का प्रतीक बन गया है।
धार्मिक गतिविधियों के अलावा, मंदिर में आयोजित भजन‑कीर्तन, संतों द्वारा गाए गए कृष्णलीला पर आधारित संगीत सत्र भी इस दिन का अभिन्न हिस्सा है। प्रमुख मंदिर, जैसे जामुना, द्वारका और ब्रज में विशेष कीर्तन सभा रखी जाती है; यहाँ भक्त गोकुल की लीलाओं को गाकर मन को आनंदित करते हैं। साथ ही, पवित्र नदी किनारे स्नान, गुप्त विष्णु मंत्रों का जप और बाल कृष्ण के चित्रों की प्रदर्शनी भी इस उत्सव को विशिष्ट बनाते हैं। इन सबका लक्ष्य है सरल जीवन‑शैली को अपनाना और आध्यात्मिक सुख प्राप्त करना।
कुछ लोग इस अवसर को सामाजिक कार्यों के साथ जोड़ते हैं। कई एनजीओ और स्थानीय संस्थाएँ भोजन वितरित करने, बाल शिक्षा के लिए पुस्तकें देने या मुफ्त स्वास्थ्य जांच आयोजित करने का काम करती हैं। इस तरह के प्रयास न केवल त्यौहार की सच्ची भावना को प्रकट करते हैं, बल्कि समुदाय के भीतर सहयोग की भावना को भी मजबूत बनाते हैं। अगले सेक्शन में आप देखेंगे कि 2025 में कौन‑कौन से प्रमुख कार्यक्रम, बाजार और ऑनलाइन कवरेज इस कृष्ण जन्माष्टमी 2025 को और भी रंगीन बनाएंगे, साथ ही आर्थिक, खेल और सांस्कृतिक खबरों से जुड़ी कई रोचक कहानियां भी मिलेंगी। आगे पढ़ते रहें और इस तीज की पूरी तस्वीर खुद बनाएं।