गरमियों में बारिश का आगमन अक्सर बाढ़ को जन्म देता है, खासकर उत्तराखंड जैसे पहाड़ी राज्य में। अगर आप यहाँ रहते हैं या यात्रा की योजना बना रहे हैं, तो बाढ़ से जुड़ी जानकारी आपना लिफ़ाफ़ा बनाकर रखें। नीचे बाढ़ के मुख्य कारण, वर्तमान स्थिति और तुरंत लागू करने योग्य सुरक्षा टिप्स बताए गये हैं।
पहाड़ी क्षेत्रों में तेज़ धूप के बाद अचानक इतभ्ी बारिश होती है, जिससे जलवायु परिवर्तन तेज़ी से नदियों को भर देता है। जलाशयों की अधिकतम क्षमता से अधिक पानी बहने पर किनारे टूटते हैं, और बाढ़ आती है। साथ ही, बायो-डैम (अवनित तले की गड्ढे) का निर्माण, बंजर जमीं पर निर्मित बगीचे और अनियमित विकास भी जल निकासी को रोकते हैं। यही कारण है कि साल‑दर‑साल बाढ़ की गंभीरता बढ़ती जा रही है।
1. **सूचना पर नज़र रखें** – IMD, राज्य आपदा प्रबंधन विभाग और स्थानीय रेडियो चैनलों से निकटतम अलर्ट सुनें।
2. **ऊँचे स्थान पर शरण लें** – यदि घर नीचे दब गया हो तो तुरंत बहरिया या स्कूल जैसे ऊँचे इमारत में जाएँ।
3. **सुरक्षित वस्तुएँ साथ रखें** – पानी‑रोधी बैग में पहचान पत्र, दवाइयाँ, मोबाइल, लाइट और कुछ मौद्रिक नोट रखें।
4. **सुरक्षा दूरी बनाएँ** – तेज़ धारा वाले किनारे से कम से कम 100 मीटर दूर रहें, क्योंकि अचानक जल स्तर बढ़ सकता है।
बाढ़ के बाद घर लौटते समय बिजली के तारों, गैस सिलेंडर और फर्श की स्थिति जाँचें। यदि जलस्तर ने घर का हिस्सा डुबा दिया हो तो निचले हिस्से को साफ‑सफाई के लिए प्रोफ़ेशनल मदद लें।
स्थानीय प्रशासन अक्सर राहत‑सामान, भोजन और साफ़ पानी की व्यवस्था करता है। अपने गाँव या शहर की राहत‑केन्द्र की लोकेशन जानें और जरूरत पड़ने पर तुरंत पहुँचें। यदि आप बाहर यात्रा कर रहे हैं तो अपने होटल या गेस्टहाउस को बाढ़‑सुरक्षा योजना के बारे में पूछें।
बाढ़ की रोकथाम में समुदाय का सहयोग महत्वपूर्ण है। पहाड़ी नदियों के किनारे कूड़ादान रखें, जल निकासी के लिए अस्थायी बैरो रुकावट न बनाएं और बाढ़‑प्रभावित क्षेत्रों में अनाधिकृत निर्माण को रोकें। छोटे-छोटे कदम जैसे पेड़ लगाना और जलभरणीय क्षेत्रों का संरक्षित रखना बड़ी मदद करता है।
यदि आप उत्तराखंड में बाढ़‑प्रवण इलाक़े में रहने वाले हैं, तो वार्षिक बाढ़‑सुरक्षा ड्रिल में भाग लें। ऐसे अभ्यास से आप जानेंगे कि किन परिस्थितियों में कब और कैसे कार्य करना है। याद रखें, तैयार रहना ही सबसे बड़ी सुरक्षा है।
आपका सुरक्षा इंतज़ार नहीं करता, इसलिए आज ही अपने परिवार, पड़ोसियों और स्थानीय निकायों से मिलकर बाढ़‑सुरक्षा योजना बनाएं। सही जानकारी, समय पर प्रतिक्रिया और सामूहिक प्रयास से हम बाढ़ के नुकसान को न्यूनतम कर सकते हैं।