भारत-ब्रिटेन FTA वार्ता फिर शुरू: फरवरी 2025 से व्यापारिक रिश्तों में नया मोड़

भारत-ब्रिटेन FTA की फिर से शुरुआत
काफी वक्त से चर्चा में रही भारत-ब्रिटेन FTA वार्ता 24 फरवरी 2025 से फिर पटरी पर आने जा रही है। नवंबर 2024 में ब्राज़ील में हुए G-20 शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर ने इस अहम कदम पर सहमति जताई थी। दोनों सरकारों के संकेत के बाद अब वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल और ब्रिटेन के व्यापार सचिव जोनाथन रेनोल्ड्स लगातार संपर्क में हैं। दिल्ली में होने वाली वार्ताओं से उम्मीद है कि पुराने विवाद और मतभेद भी सुलझेंगे।
भारत और ब्रिटेन के बीच पिछले कुछ सालों में व्यापार को लेकर कई मसले चर्चा में रहे हैं—चाहे वो टैक्स हो या नियमों का तकनीकी उलझाव। नए दौर की यह वार्ता इन सभी बाधाओं को दूर करने की कोशिश करेगी। ब्रिटिश प्रतिनिधिमंडल के दिल्ली दौरे पर आने का मतलब है कि दोनों देश अब अंतिम पायदान पर पहुंचकर बड़े फैसले लेना चाहते हैं। विशेष ध्यान भारतीय विनिर्माण, सेवा और टेक्नोलॉजी सेक्टर के विस्तार पर रहेगा।

द्विपक्षीय संबंधों में नया अवसर
अब बात आती है, क्यों इतना उत्साह है इस FTA को लेकर? असल में ब्रिटेन और भारत के व्यापारिक रिश्ते हर दिन विस्तार पा रहे हैं। करीब 29 अरब डॉलर का वार्षिक द्विपक्षीय व्यापार है, और इसमें व्यापार समझौता जुड़ने से कारोबार और निवेश के अप्रत्याशित अवसर खुलेंगे। भारत के आईटी, फार्मा और एक्सपोर्ट सेक्टर को मिलेगा सीधे तौर पर फायदा, वहीं ब्रिटेन अपने वित्त और एडवांस इंजीनियरिंग उद्योगों से भारत में नए बाजार खोज सकता है।
नई FTA से जहां भारतीय स्टार्टअप्स को ब्रिटेन में सरल एंट्री मिलेगी, वहीं दोनों देशों के छात्रों, टूरिस्ट्स और पेशेवरों को वीजा और परमिट मामलों में भी राहत मिल सकती है। साथ ही, दोनों देशों की सरकारें जॉब क्रिएशन और नवाचार पर लगातार काम करने की तरफ बढ़ेंगी।
- भारतीय उत्पादों के लिए ब्रिटिश बाजार तक सीधी पहुंच
- इंग्लैंड के निवेशकों को भारतीय कंपनियों के साथ साझेदारी की सुविधा
- दोनों देशों के स्टार्टअप एवं टेक्नोलॉजी सेक्टर को वैश्विक पहचान
- रोजगार के नए रास्ते और आधुनिक स्किल ट्रेनिंग
यह समझौता भारत के ‘विकसित भारत 2047’ के लक्ष्य से जुड़ा है, जिसमें डिजिटलीकरण, ईज ऑफ डूइंग बिजनेस, और मैन्युफैक्चरिंग के लिए बड़े बदलावों की जरूरत है। ब्रिटेन के लिए भी, ब्रेक्सिट के बाद नए सहयोग की यह डील आर्थिक मजबूती का जरिया बन सकती है।
अब सबकी नजरें दिल्ली पर टिकी हैं, जहां दोनों देश बातचीत की मेज पर अपनी प्राथमिकताओं के साथ ताकत दिखाएंगे। अगर यह वार्ता सफल होती है तो भारत-ब्रिटेन साझेदारी पूरी दुनिया के लिए मिसाल बन सकती है।