भारतीय उच्चायोग ने मालदीव में भारतीय सैन्य पायलटों द्वारा अनधिकृत ऑपरेशन के आरोपों को खारिज किया

भारतीय उच्चायोग ने मालदीव में भारतीय सैन्य पायलटों द्वारा अनधिकृत ऑपरेशन के आरोपों को खारिज किया

भारत ने मालदीव में अपने उच्चायोग के माध्यम से मालदीव के रक्षा मंत्री गसान मौमून द्वारा लगाए गए आरोपों का खंडन किया है। मालदीव के रक्षा मंत्री ने दावा किया था कि 2019 में मालदीव में तैनात भारतीय सैन्य हेलीकॉप्टर पायलटों ने एक अनधिकृत ऑपरेशन किया था।

भारतीय उच्चायोग ने स्पष्ट किया कि मालदीव में भारतीय सैन्य विमानों ने हमेशा सहमत प्रक्रियाओं के अनुसार और मालदीव नेशनल डिफेंस फोर्स (MNDF) के उचित अनुमोदन के साथ संचालित किया है। यह स्पष्टीकरण ऐसे समय में आया है जब भारत ने मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू की मांग के बाद मालदीव से 76 सैन्य कर्मियों को वापस बुला लिया है।

राष्ट्रपति मुइज्जू, जो एक चीन समर्थक नेता हैं, के नवंबर पिछले साल सत्ता में आने के बाद से भारत और मालदीव के संबंधों में गिरावट आई है। रक्षा मंत्री ने एक घटना का उल्लेख किया था जहां भारतीय सैन्य हेलीकॉप्टरों में से एक बिना अनुमति के थिमाराफुशी में उतरा था। हालांकि, भारतीय उच्चायोग ने स्पष्ट किया कि यह आपातकालीन लैंडिंग एक अप्रत्याशित आवश्यकता के कारण की गई थी और MNDF के अनुमोदन के साथ की गई थी।

भारतीय सैन्य कर्मी मुख्य रूप से चिकित्सा उद्धार के लिए भारत द्वारा उपहार में दिए गए दो हेलीकॉप्टरों और एक डोर्नियर विमान को संचालित करने के लिए मालदीव में तैनात थे। भारत और मालदीव के बीच रक्षा सहयोग एक महत्वपूर्ण क्षेत्र रहा है, जिसमें प्रशिक्षण, क्षमता निर्माण और उपकरणों की आपूर्ति शामिल है।

हालांकि, हाल के घटनाक्रमों ने दोनों देशों के बीच संबंधों में तनाव पैदा कर दिया है। भारत ने मालदीव में चीन के बढ़ते प्रभाव के बारे में चिंता व्यक्त की है, जबकि मालदीव ने भारत पर अपनी संप्रभुता का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है।

विशेषज्ञों का मानना है कि भारत और मालदीव के बीच संबंधों को सुधारने के लिए कूटनीतिक प्रयासों की आवश्यकता है। दोनों देशों को एक-दूसरे के हितों और चिंताओं को समझने और संतुलित तरीके से उनका समाधान खोजने की जरूरत है।

भारत ने मालदीव में स्थिरता और विकास को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। भारत ने विभिन्न विकास परियोजनाओं और मानवीय सहायता के माध्यम से मालदीव की मदद की है। हालांकि, हाल के वर्षों में चीन के साथ मालदीव के बढ़ते संबंधों ने भारत के लिए चिंता पैदा की है।

मालदीव हिंद महासागर में भारत के लिए एक रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण देश है। मालदीव का भौगोलिक स्थान महत्वपूर्ण समुद्री मार्गों पर नियंत्रण प्रदान करता है और इसकी सुरक्षा भारत के लिए महत्वपूर्ण है। इसलिए, भारत मालदीव में अपने हितों की रक्षा करने और द्वीपीय देश में स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।

भारतीय उच्चायोग द्वारा दिए गए स्पष्टीकरण से यह उम्मीद की जाती है कि यह मालदीव के साथ संबंधों को सामान्य करने की दिशा में एक कदम होगा। दोनों देशों को आपसी सहयोग और समझ के माध्यम से अपने मतभेदों को दूर करने और एक मजबूत साझेदारी बनाने पर ध्यान देना चाहिए।

भारत और मालदीव के बीच मजबूत संबंध न केवल दोनों देशों के हित में हैं, बल्कि हिंद महासागर क्षेत्र में शांति, स्थिरता और समृद्धि को बढ़ावा देने के लिए भी महत्वपूर्ण हैं। आने वाले दिनों में, दोनों देशों को अपने संबंधों को मजबूत करने और विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर ध्यान देना चाहिए।

इस प्रकार, भारतीय उच्चायोग द्वारा मालदीव में अनधिकृत ऑपरेशन के आरोपों का खंडन एक महत्वपूर्ण कदम है जो दोनों देशों के बीच संबंधों को सुधारने की दिशा में एक सकारात्मक संकेत देता है। भारत और मालदीव को एक-दूसरे के साथ संवाद और सहयोग के माध्यम से अपनी साझेदारी को मजबूत करना चाहिए और हिंद महासागर क्षेत्र में शांति और स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए मिलकर काम करना चाहिए।

6 टिप्पणि

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    Sunil Kunders

    मई 14, 2024 AT 20:00

    उच्चायोग द्वारा दिया गया स्पष्टीकरण अंतरराष्ट्रीय कूटनीति के स्थापित मानकों के अनुरूप प्रतीत होता है। यह स्पष्ट करता है कि सभी विमानन गतिविधियाँ द्विपक्षीय समझौतों के ढाँचे में संचालित होती हैं। भारतीय रक्षा नीतियों का अभिप्राय हमेशा पारदर्शिता पर आधारित रहा है। मालदीव के रक्षा विभाग के साथ सहयोग की गहराई को देखते हुए ऐसे बयान आवश्यक होते हैं। इस प्रकार का विवरण दोनों देशों के बीच भरोसे को पुनर्स्थापित करने में सहायक होगा।

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    suraj jadhao

    मई 14, 2024 AT 20:10

    बहुत ही उत्साहजनक है कि भारत ने इस मुद्दे को स्पष्ट कर दिया! 🙌 यह दिखाता है कि सहयोगी संबंधों में पारदर्शिता कितनी महत्वपूर्ण है। सभी दोस्तों को मिलकर इस सकारात्मक दिशा में कदम बढ़ाना चाहिए। 🌟 आशा है कि आगे भी दोनों देश मिलजुल कर समुद्री सुरक्षा को सुदृढ़ करेंगे। 🤝

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    Agni Gendhing

    मई 14, 2024 AT 20:20

    ओह!! क्या बात है, फिर से वही पुराने षड्यंत्र की कहानियां!!! मालदीव में तो हर कोने पर कूदते हुए एजेंटों की टैक्सी खड़ी है??! बिल्कुल मस्त, बस भरोसा मत करो!!!

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    Jay Baksh

    मई 14, 2024 AT 20:30

    देश की महानता को किसी छोटी सी जाँच से नहीं आँका जा सकता!

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    Ramesh Kumar V G

    मई 14, 2024 AT 20:40

    मालदीव में भारतीय उच्चायोग के बयान को समझने के लिए ऐतिहासिक पृष्ठभूमि को देखना आवश्यक है। 2019 में हुए उस हेलीकॉप्टर लैंडिंग को लेकर मीडिया में कई अटकलें उभरी थीं, लेकिन वास्तविक दस्तावेज़ स्पष्ट रूप से दिखाते हैं कि यह एक आपातकालीन चिकित्सा निर्यात था। भारतीय सैन्य हेलीकॉप्टरों का संचालन हमेशा निर्भीकता और पेशेवर मानकों के साथ किया जाता है। MNDF के साथ समन्वय के तहत सभी प्रोटोकॉल पालन किए गए थे। इस प्रकार का सहयोग दो देशों के बीच रक्षा साझेदारी को दर्शाता है। छठी ग्रेड के छात्रों को भी यह समझना चाहिए कि अंतरराष्ट्रीय समझौते में संप्रभुता का सम्मान अनिवार्य है। भारत ने लगातार मालदीव में मानवीय सहायता प्रदान की है, जिसमें स्वच्छ जल और चिकित्सा सुविधाएँ शामिल हैं। इन परियोजनाओं का लक्ष्य केवल कूटनीतिक नहीं, बल्कि वास्तविक जनभलाई है। इन सबके पीछे चीन के बढ़ते प्रभाव को लेकर भारत की चिंता वास्तविक भू-राजनीतिक परिस्थितियों पर आधारित है। लेकिन इस प्रकार के स्पष्टीकरण से यह सिद्ध होता है कि भारत अपनी अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं को हलके में नहीं लेता। प्रत्येक बयान में तथ्यों की जांच होना चाहिए, न कि अफवाहों पर आधार। रक्षा मंत्री के आरोपों को खारिज करना कूटनीति की परिपक्वता को दर्शाता है। भारतीय उच्चायोग ने स्पष्ट तौर पर कहा कि सभी ऑपरेशन MNDF के अनुमोदन के साथ ही किए गए थे। यह बिंदु समझाने के लिए उच्चस्तरीय दस्तावेज़ प्रस्तुत किए गए हैं। अब वक्त है कि दोनों पक्ष विश्वास की आधारशिला को पुनः बनाएं। अंततः इस सारे विनिमय का लक्ष्य हिंद महासागर में शांति और स्थिरता को बनाए रखना है।

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    Gowthaman Ramasamy

    मई 14, 2024 AT 20:50

    उच्चायोग द्वारा जारी स्पष्टीकरण में सभी तथ्यात्मक बिंदु स्पष्ट रूप से उद्धृत किए गए हैं। यह उल्लेखनीय है कि भारतीय सैन्य कर्मियों ने हमेशा अंतरराष्ट्रीय नियमों का पालन किया है। MNDF के साथ समन्वय प्रक्रिया को औपचारिक रूप से दस्तावेज़ीकृत किया गया है। इस प्रकार का सहयोग दोनों राष्ट्रों के रणनीतिक हितों के अनुरूप है। आगे के कदमों में निरंतर संवाद को प्राथमिकता देना आवश्यक है। यह स्पष्ट परिप्रेक्ष्य दोनों पक्षों के बीच विश्वास को पुनर्स्थापित करेगा। 😊🤝

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