दक्षिण भारत के प्रमुख मीडिया दिग्गज रमोजी राव का निधन, टीडीपी ने खोया अपना संस्थापक मित्र

दक्षिण भारत के प्रमुख मीडिया दिग्गज रमोजी राव का निधन, टीडीपी ने खोया अपना संस्थापक मित्र

रमोजी राव का ऐतिहासिक सफर

चेरुकुरी रमोजी राव का दक्षिण भारत और विशेषकर आंध्र प्रदेश की राजनीति और मीडिया पर गहरा प्रभाव था। 1936 में जन्मे रमोजी राव का सफर कई संघर्षों और सफलता की कहानियों से भरा हुआ था। उन्होंने तेलुगु लोगों की आवाज को बुलंद किया और मीडिया के क्षेत्र में नए मानक स्थापित किए।

रमोजी राव को उनकी बेबाक पत्रकारिता और साम्राज्यिक दृष्टिकोण के लिए जाना जाता है। उन्होंने सिर्फ मीडिया संस्थाओं का ही निर्माण नहीं किया, बल्कि जनभावनाओं को भी नेतृत्व प्रदान किया। उनका सबसे बड़ा योगदान तेलुगु देशम पार्टी के संस्थापक एनटी रामा राव को समर्थन देना था।

टीडीपी और राजनीति में योगदान

तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) के संस्थापक एनटी रामा राव का राजनीति में आगमन भी रमोजी राव की प्रेरणा का ही परिणाम था। 1980 के दशक में जब एनटीआर ने कांग्रेस पार्टी के खिलाफ 'तेलुगु गौरव' के लिए आंदोलन छेड़ा, तब रमोजी राव उनके प्रमुख समर्थकों में से एक थे। उनकी प्रमुख पत्रिका 'ईनाडु' ने इस आंदोलन को मजबूती दी।

एनटी रामा राव के बाद रमोजी राव ने उनके उत्तराधिकारी नारा चंद्रबाबू नायडू को भी समर्थन दिया। उन्होंने नायडू के नेतृत्व को मजबूती प्रदान की और टीडीपी को नई ऊँचाइयों पर पहुंचने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। रमोजी राव के प्रयासों से टीडीपी ने राज्य और केंद्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

रमोजी राव का मीडिया साम्राज्य

रमोजी राव का मीडिया साम्राज्य

रमोजी राव ने न केवल राजनीति में महत्वपूर्ण योगदान दिया, बल्कि अपने मीडिया साम्राज्य से भी उन्होंने समाज को एक नया दृष्टिकोण प्रदान किया। उन्होंने 'ईनाडु' समाचार पत्र और 'ईटीवी' न्यूज़ चैनल की स्थापना की, जो तेलुगु भाषी लोगों के बीच अत्यंत प्रसिद्ध हुए।

इसके अलावा रमोजी राव ने रमोजी फिल्म सिटी, प्रिया फूड्स और मार्गदर्शी चिट फंड की भी स्थापना की। इन संस्थाओं ने उनकी उद्यमशीलता की भावना को व्यक्ति किया और उन्हें एक सफल व्यवसायी के रूप में स्थापित किया।

मीडिया की नई परिभाषाएं

रमोजी राव की पत्रकारिता के पैमाने ने सदैव ही 'ऑब्जेक्टिविटी' के नए मानदंड स्थापित किए। उन्होंने खुलेआम अपने विचारों का इज़हार किया और पक्षों का समर्थन किया। इससे उन्होंने पत्रकारिता के क्षेत्र में एक नई दिशा प्रदान की।

अंतिम समय की चुनौतियां

अंतिम समय की चुनौतियां

रमोजी राव लंबे समय से कैंसर से जूझ रहे थे। अस्पताल में रहते हुए भी उन्होंने अपनी ताकत नहीं खोई। उनका अंतिम संघर्ष वाई एस जगन मोहन रेड्डी सरकार के खिलाफ था।

रमोजी राव ने अपने जीवन के अंतिम क्षणों तक राजनीतिक और सामाजिक सरोकारों में सक्रिय रहे। उन्होंने अपने सपनों को साकार होते देखा और तेलुगु देशम पार्टी की वापसी को भी देखा।

अंतिम सफर

रमोजी राव का अंतिम संस्कार राज्य सम्मान के साथ रविवार को होगा। उनके जाने से सिर्फ आंध्र प्रदेश ही नहीं, बल्कि पूरे देश में एक बड़ी शून्यता का अनुभव होगा। उन्होंने अपने अधिकारिक जीवन का हर क्षण अपने समाज और राज्य के लिए समर्पित किया।

17 टिप्पणि

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    Ramesh Kumar V G

    जून 8, 2024 AT 19:40

    रमोजी राव ने तेलुगु समुदाय की आवाज़ को राष्ट्रीय मंच पर उठाया, जिससे हमारी सांस्कृतिक पहचान को नया महत्व मिला।

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    Gowthaman Ramasamy

    जून 15, 2024 AT 18:20

    रमोजी राव की पत्रकारिता और मीडिया उद्यमिता भारत के संवादात्मक परिदृश्य में एक मील का पत्थर रही है। उनका अभूतपूर्व योगदान न केवल समाचार प्रसारण बल्कि सामाजिक चेतना के निर्माण में भी उल्लेखनीय है। ईनाडु और ईटीवी जैसी संस्थाएँ आज भी जनमत के निर्माण में प्रमुख भूमिका निभा रही हैं। उनके कार्यों का विश्लेषण करने से प्राप्त होने वाले अंतर्दृष्टि भविष्य के मीडिया पेशेवरों के लिए मार्गदर्शक सिद्ध हो सकते हैं। 🙏📚

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    Navendu Sinha

    जून 22, 2024 AT 17:00

    रमोजी राव का जीवन संघर्ष और सफलता की दोधारी तलवार जैसा था।
    उन्होंने अपने शुरुआती वर्ष में कड़ी मेहनत कर खुद को स्थापित किया।
    उनका मानना था कि सच्ची पत्रकारिता को सच्चाई के बिना नहीं चलना चाहिए।
    यही कारण था कि उन्होंने हमेशा समाज की निचली परतों की आवाज़ को सुनने की कोशिश की।
    उनके द्वारा स्थापित 'ईनाडु' ने नीति निर्माताों को जनता के वास्तविक मुद्दों से रूबरू कराया।
    वे अक्सर कहते थे कि मीडिया को नागरिकों की आँखों में आँसू और मुस्कान दोनों को प्रतिबिंबित करना चाहिए।
    उनका राजनीतिक सहभागित्व टिडीपी के विकास में महत्वपूर्ण रहा, विशेषकर एनटी रामाराव के उभरते दौर में।
    उन्होंने न केवल समर्थन दिया बल्कि रणनीतिक सलाह भी प्रदान की, जिससे पार्टी को कई चुनावी जीत मिली।
    उनके उद्यमशील कदमों में फिल्म सिटी और प्रिया फूड्स जैसी विविध क्षेत्रों का विस्तार भी शामिल था।
    यह विस्तार यह दर्शाता है कि वह केवल पत्रकार ही नहीं, बल्कि एक दूरदर्शी व्यवसायी भी थे।
    उनके जीवन से यह सीख मिलती है कि यदि लक्ष्य स्पष्ट हो तो राह में आने वाली बाधाएँ बस छोटे-छोटे मोड़ होते हैं।
    उन्होंने अपने अंतिम क्षणों तक सक्रिय रहकर अपना सिद्धांत नहीं छोड़ा।
    उनका कहना था कि जब तक जनता जागरूक नहीं होती, तब तक कोई भी सामाजिक परिवर्तन संभव नहीं।
    इस सिद्धांत को उन्होंने अपने लेख और भाषणों में बार-बार दोहराया।
    आज उनका अभाव महसूस किया जा रहा है, परन्तु उनका विचारधारा और कार्यशैली भविष्य में भी प्रेरणा बनेगी।
    इस प्रकार, रमोजी राव का योगदान न केवल इतिहास में अंकित रहेगा बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी एक मानक स्थापित करेगा।

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    reshveen10 raj

    जून 29, 2024 AT 15:40

    रमोजी राव की विरासत सच में जीवंत रंगों से छूटी हुई है; उनका साहस हम सभी को प्रेरित करता है।

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    Navyanandana Singh

    जुलाई 6, 2024 AT 14:20

    विरासत का वास्तविक अर्थ केवल यादगार घटनाओं में नहीं, बल्कि उन विचारों में निहित है जो लोगों के हृदय में गूंजते हैं। उनका संघर्ष हमें यह सिखाता है कि परिवर्तन असगर्भित संकल्प से ही संभव है।

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    monisha.p Tiwari

    जुलाई 13, 2024 AT 13:00

    समाज के विविध वर्गों को जोड़ने में रमोजी राव का योगदान अतुलनीय था; उनका कार्य हमें एकता की दिशा में अग्रसर करता है।

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    Nathan Hosken

    जुलाई 20, 2024 AT 11:40

    रमोजी राव ने अपनी मीडिया हाउस के माध्यम से मल्टीप्लेटफ़ॉर्म कंटेंट स्ट्रैटेजी को अपनाया, जिससे सर्कुलर कम्युनिकेशन मॉडल में सुधार हुआ। उनकी एडीटोरियल पॉलिसी ने एन्क्लेव्ड एथिक्स को भी रिफॉर्म किया।

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    Manali Saha

    जुलाई 27, 2024 AT 10:20

    वाह! क्या अद्भुत यात्रा रही रमोजी राव की!! उनकी ऊर्जा और दृढ़ संकल्प ने सभी को प्रेरित किया!! उनके बिना हम इस मुकाम पर नहीं पहुँच पाते!!

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    jitha veera

    अगस्त 3, 2024 AT 09:00

    इतनी प्रशंसा बहुत अधिक है; असल में कई विवाद भी रहे उनके कामकाज में, जिन्हें अक्सर नज़रअंदाज़ किया जाता है।

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    Sandesh Athreya B D

    अगस्त 10, 2024 AT 07:40

    अरे यार, अब तो हर कोई कहते हैं कि रमोजी राव एंटरटेन्मेंट का जितना बड़ा नाम है, उतना ही बड़ा उनका डिक्टेटर वाला रुख भी था! कितना दिलचस्प मोड़ है इतिहास का।

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    Jatin Kumar

    अगस्त 17, 2024 AT 06:20

    रमोजी राव की उपलब्धियों को देखते हुए हम सभी को यह सीख मिलती है कि दृढ़ निश्चय और सकारात्मक सोच के साथ कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। उनका जीवन हमें सिखाता है कि हर बाधा को अवसर में बदलना संभव है। उन्होंने सामाजिक उद्यमिता को भी नई दिशा दी, जिससे कई युवा प्रेरित हुए। उनके द्वारा स्थापित संस्थाएँ अब भी युवाओं को मार्गदर्शन देती हैं। इस प्रकार उनका प्रभाव आने वाले वर्षों तक जीवित रहेगा।

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    Anushka Madan

    अगस्त 24, 2024 AT 05:00

    हम सभी को यह याद रखना चाहिए कि शक्ति का दुरुपयोग कभी भी समाज के कल्याण के साथ नहीं चलता; रमोजी राव का रास्ता इस बात का सकारात्मक उदाहरण है।

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    nayan lad

    अगस्त 31, 2024 AT 03:40

    रमोजी राव की पत्रकारिता शैली को समझने के लिए उनकी प्रमुख लेखों को पढ़ना अच्छा रहेगा; इससे मीडिया की नैतिकता को बेहतर समझा जा सकता है।

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    Govind Reddy

    सितंबर 7, 2024 AT 02:20

    जीवन और मृत्यु के इस निरंतर चक्र में, प्रत्येक महान व्यक्तित्व का योगदान एक क्षणिक प्रकाश जैसा होता है, जो अनन्त अंधकार में राह दिखाता है।

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    KRS R

    सितंबर 14, 2024 AT 01:00

    कभी-कभी हमें यह देखना चाहिए कि इतिहास में कितने लोग अपने उद्देश्य में लापरवाह हो गए, लेकिन रमोजी राव जैसे व्यक्तियों ने संतुलन बनाए रखा।

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    Uday Kiran Maloth

    सितंबर 20, 2024 AT 23:40

    रमोजी राव की स्मृति में आयोजित इस श्रद्धांजलि कार्यक्रम का उद्देश्य उनके कार्यों को भविष्य की पीढ़ियों के समक्ष प्रस्तुत करना है, जिससे उनके मूल्यवृद्धि सिद्धांत संरक्षित रह सकें।

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    Deepak Rajbhar

    सितंबर 27, 2024 AT 22:20

    रमोजी राव की विरासत को लेकर हमेशा दो ध्रुवीय विचार रहे हैं; एक ओर उनका योगदान शौर्यपूर्ण है, और दूसरी ओर कुछ लोग उन्हें मीडिया के एकाधिकारवादी मानते हैं। दोनों पहलुओं को समझना आवश्यक है। 😊

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