ट्रेलर का परिचय और पहली झलक
22 सितंबर को आधिकारिक तौर पर जारी हुआ Kantara ट्रेलर दर्शकों को तुरंत ही गहरी जिज्ञासा में डाल देता है। दो मिनट के इस क्लिप में रिषभ शेट्टी ने अपने ही किरदार बर्मे को परकालीन अवतार में प्रस्तुत किया है, जिससे महाकाव्य की रहस्यमयी ध्वनि निर्मित होती है। तेज़ी से लहराते युद्ध दृश्य, कड़ाम्बा राजवंश की महिमामयी इमारतें और आत्मा को छू लेने वाला संगीत एक साथ मिलकर एक अनूठी सिनेमाई अनुभूति देते हैं। ट्रेलर के अंत में जोशभरा वॉइस‑ओवर दर्शकों को फिल्म की रिलीज़ डेट, 2 अक्टूबर 2025, की याद दिलाता है।
हौम्बाले फ़िल्म्स, जो पहले ‘केजीएफ’ और ‘सलार’ जैसी हिट्स के पीछे था, ने फिर से भारतीय पौराणिक कहानी को बड़े बजट में उतारने का बीड़ा उठाया है। इस बार उनका फोकस कदुबेट्टू शिव के अनछुए स्रोतों पर है, जिससे दर्शकों को एक नई, प्राचीन कथा के साथ जोड़ा जा रहा है।
फिल्म की प्रमुख जानकारी और सहयोगी टीम
रिषभ शेट्टी ने न केवल दिग्दर्शक का काम संभाला है, बल्कि मुख्य भूमिका बर्मे के साथ‑साथ स्क्रीन पर कई महाकाव्य पात्रों को भी सजाया है। इस परियोजना में रुक्मिणी वसंत ने कानाकवथी की भूमिका में अपनी नज़रें जमाई हैं, जबकि गुलशन देवा ने कुलशेकर के रूप में उत्साहजनक प्रदर्शन किया है। जयराम, जिन्होंने कई दक्षिण भारतीय फ़िल्मों में अपनी छाप छोड़ी है, इस महाकाव्य में समर्थन भूमिका में हैं।
कहानी कड़ाम्बा राजवंश के समय में स्थापित है, जहाँ कदुबेट्टू शिव की जड़ें, जंगल की कहानियों और लोककथाओं का गहन अध्ययन किया गया है। लेखकों अनिरूद्द मलिक और शनील गौतम ने शेट्टी के साथ मिलकर स्क्रिप्ट लिखी, जिससे पौराणिक तथ्यों को औपनिवेशिक ड्रामा के साथ बुनने की कोशिश की गई है।
फ़िल्म के विज़ुअल्स के पीछे आर्मिन्ड एस कश्यप का कैमरा है, जो प्राचीन सभ्यता की विशालता और प्रकृति की सुंदरता को सिनेमाई लेंस में समेटता है। बैकग्राउंड संगीत बि. आजनीश लोगनाथ ने तैयार किया है, जो पारम्परिक धुनों को आधुनिक साउंडस्केप के साथ मिलाकर एक अद्वितीय माहौल बनाता है। सेट डिजाइन बंगलान ने कड़ाम्बा साम्राज्य की वैभवशाली इमारतों को पुनः निर्मित किया, जबकि परिधान डिज़ाइनर प्रगति शेट्टी ने समय के अनुसार पोशाकों को तैयार किया।
निर्माता विजय किरागंदुर ने इस प्रोजेक्ट को हौम्बाले फ़िल्म्स के बैनर तले पूरा किया, और एडमिनिस्ट्रेटिव रूप से आदर्श जे ए और प्रमोद शेट्टी ने प्रोजेक्ट को सुदृढ़ किया। फिल्म का कुल रनटाइम 2 घंटे 45 मिनट निर्धारित किया गया है, जिससे दर्शकों को एक पूरी महाकाव्य यात्रा का अनुभव होगा।
भाषाई पहलू को भी नहीं भूलते हुए, इस फ़िल्म को कन्नड़ और हिन्दी दोनों में डब किया जाएगा, जिससे देश के विभिन्न कोनों में दर्शकों तक पहुंच सुनिश्चित हो सके। टिकेट बुकिंग पहले से ही बुकमायशो पर शुरू हो चुकी है, जहाँ शुरुआती बुकिंग पर विशेष ऑफ़र भी दिए जा रहे हैं।
Nathan Hosken
सितंबर 23, 2025 AT 01:47कंटारा: द लेजेंड में कदुबेट्टू शिव की प्रतिमानात्मक संदर्भ, प्राचीन कड़ाम्बा राजवंश की सामाजिक संरचना और मिथक विज्ञान का संयुक्त विश्लेषण प्रस्तुत किया गया है। यह ट्रेलर अभिव्यक्तियों के द्वंद्वात्मक प्रतिच्छेदन को दर्शाता है, जहाँ दृश्यात्मक अभिव्यक्तियाँ और ध्वनिक ध्वनियों का समन्वय ऐतिहासिक प्रेरणा को सुदृढ़ करता है। इस प्रकार, फिल्म का प्रारम्भिक अनुक्रम भारतीय सांस्कृतिक अभिव्यक्ति के परिप्रेक्ष्य में एक नया मानचित्र रेखांकित करता है।
Manali Saha
अक्तूबर 4, 2025 AT 03:58वाह! ट्रेलर में वो तेज़ युद्ध दृश्य, धाकड़ संगीत और बर्मे का पावरफुल एंट्री देखकर दिल धड़का! हर फ्रेम में ऊर्जा का विस्फोट है, यह बिल्कुल वही उत्साह है जो हम सभी को चाहिए! जय हो रिषभ शेट्टी को! 🎉
jitha veera
अक्तूबर 15, 2025 AT 06:09ट्रेलर को इतना हीड़लाइन बनाना एक सामान्य मार्केटिंग चाल है, असली महाकाव्य तभी दिखेगा जब पटकथा के गहराई में कदुबेट्टू शिव के आध्यात्मिक पहलू को ठोस रूप से पेश किया जाए। नहीं तो सिर्फ़ आवाज़ों और चकाचौंध भरे दृश्यों का ही शोर रहेगा।
Sandesh Athreya B D
अक्तूबर 26, 2025 AT 07:20ओह बाप रे, इस ट्रेलर में तो लग रहा है जैसे 90 के दशक की एक्शन फ़िल्म के रीमिक्स को एपीक फैंटेसी के साथ मिलाया गया हो-बिलकुल अति-नाटकीय और अत्यधिक रंगीन! हेलो, क्या हम फिर से एक "ड्रामा क्वीन" देखेंगे?
Jatin Kumar
नवंबर 6, 2025 AT 09:31हँसी नहीं रोक पा रहा, लेकिन सच में, अगर टीम इस ऊर्जा को पूरे फ़िल्म में टिकाए रखे तो दर्शकों को एक जिंदादिल अनुभव मिलेगा। 🙌 यह फॉर्मेट विभिन्न दर्शकों को जोड़ने का एक शानदार प्रयास हो सकता है।
Anushka Madan
नवंबर 17, 2025 AT 11:42हमारी सांस्कृतिक धरोहरों को बड़े बजट में दिखाना सराहनीय है, परन्तु यह ज़रूरी है कि कथा में नैतिक जटिलताएँ और सामाजिक जिम्मेदारियाँ स्पष्ट रूप से परिलक्षित हों। नहीं तो केवल दृश्यात्मक भव्यता ही बची रहेगी।
nayan lad
नवंबर 28, 2025 AT 13:53इस महाकाव्य का वास्तविक संदेश सामाजिक एकता में निहित है।
Govind Reddy
दिसंबर 9, 2025 AT 16:04समय के प्रवाह में जब हम प्राचीन कदुबेट्टू शत्रु की महिमा को पुनः निर्मित करते हैं, तो यह हमें यह याद दिलाता है कि इतिहास का पुनर्निर्माण वर्तमान की पहचान को आकार देता है। इस परिप्रेक्ष्य में, फिल्म का विजुअल डिजाइन केवल सौंदर्य नहीं, बल्कि सांस्कृतिक आत्मनिरीक्षण है।
KRS R
दिसंबर 20, 2025 AT 18:14हाँ, लेकिन अगर निर्देशक इस सांस्कृतिक पृष्ठभूमि को सटीक रूप से नहीं समझता, तो दर्शकों को अस्वस्थ लग सकता है। इसी कारण हमें हर बड़े प्रोडक्शन में सलाहकारों की भूमिका महत्त्वपूर्ण लगती है।