बिहार शिक्षा विभाग ने 2025-2026 के शैक्षणिक वर्ष के लिए आधिकारिक छुट्टियों का कैलेंडर जारी कर दिया है — जिसमें दिवाली, ईद, रिपब्लिक डे और बिहार दिवस सहित 78 दिनों की छुट्टियाँ शामिल हैं। यह कैलेंडर बिहार और झारखंड के सभी सरकारी और निजी विद्यालयों के लिए लागू होगा, जिसका उद्देश्य छात्रों और शिक्षकों के लिए एक समान, पारदर्शी और योजनाबद्ध शिक्षा अवधि बनाना है। शैक्षणिक वर्ष 3 अप्रैल, 2025 को शुरू होगा और 20 मार्च, 2026 को समाप्त होगा, जबकि अगले वर्ष का वर्ष 2 अप्रैल, 2026 को शुरू होगा।
छुट्टियों का विस्तृत शेड्यूल: धार्मिक और राष्ट्रीय अवकाश
इस कैलेंडर की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें धार्मिक त्योहारों को अत्यधिक संवेदनशीलता से शामिल किया गया है। दिवाली और छठ पूजा की छुट्टियाँ 20 अक्टूबर से 29 अक्टूबर, 2025 तक रहेंगी — यानी लगभग दस दिन का बड़ा अवकाश। गुरु नानक जयंती का दिन 5 नवंबर, 2025 को रखा गया है, जबकि ईद अल-फित्र 21 मार्च, 2026 को छुट्टी के रूप में घोषित किया गया है।
साथ ही, क्रिसमस की छुट्टियाँ 24 दिसंबर, 2025 से 2 जनवरी, 2026 तक रहेंगी, जिसमें नए साल का दिन भी शामिल है। मकर संक्रांति 14 जनवरी, 2026 को और होली 4 से 6 मार्च, 2026 तक छुट्टी के रूप में घोषित है। यहाँ एक दिलचस्प बात है — होली का दिन 3 मार्च को भी कैलेंडर लैब्स के अनुसार आता है, लेकिन बिहार शिक्षा विभाग ने 4 मार्च को आधिकारिक रूप से चुना है।
राष्ट्रीय और स्थानीय अवकाश: रिपब्लिक डे से लेकर बिहार दिवस तक
राष्ट्रीय छुट्टियों में रिपब्लिक डे (26 जनवरी, 2026) और बिहार दिवस (22 मार्च, 2026) को विशेष जगह मिली है। बिहार दिवस को छुट्टी के रूप में शामिल करना एक ऐतिहासिक फैसला है — यह पहली बार है जब एक राज्य दिवस को शैक्षणिक कैलेंडर में इतनी बड़ी छूट दी जा रही है।
इसके अलावा, शिवरात्रि (22-28 मार्च, 2026), श्री राम नवमी (27 मार्च, 2026) और गुड फ्राइडे (3 अप्रैल, 2026) के दिन भी विद्यालय बंद रहेंगे। यह सब छुट्टियाँ एक तरह से एक नए धार्मिक समावेशन का प्रतीक हैं — जहाँ एक राज्य अपने बहुसांस्कृतिक वास्तविकता को शिक्षा प्रणाली में शामिल कर रहा है।
गर्मियों की छुट्टियाँ और परीक्षा अवधि: छात्रों के लिए नया तरीका
गर्मियों की छुट्टियाँ 21 जुलाई से 10 सितंबर, 2025 तक रहेंगी — यानी लगभग 52 दिन। यह अवधि पिछले सालों की तुलना में थोड़ी लंबी है, जिसका उद्देश्य छात्रों को अधिक आराम और अध्ययन के लिए समय देना है।
परीक्षाओं के संदर्भ में, PT-II परीक्षा 22 नवंबर से 2 दिसंबर, 2025 तक चलेगी — नौ दिन की अवधि में छात्रों को विषयवार परीक्षा देनी होगी। इसके बाद तुरंत क्रिसमस की छुट्टियाँ शुरू हो जाएंगी, जिससे छात्रों को एक लंबी छुट्टी के लिए तैयार होने का मौका मिलेगा।
चुनाव और आपातकालीन बंद: बिहार के 17 जिलों में अस्थायी बंद
यहाँ एक महत्वपूर्ण बात है — नवंबर 6, 2025 को बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण के कारण 17 जिलों में विद्यालय बंद रहे। इनमें पटना, दरभंगा, मधेपुरा, सहरसा, मुजफ्फरपुर, गोपालगंज, सीवान, सारन, वैशाली, समस्तीपुर, बेगूसराय, लखीसराय, मुंगेर, शैखपुरा, नालंदा, बक्सर और भोजपुर शामिल हैं। यह छुट्टी आधिकारिक कैलेंडर का हिस्सा नहीं है, लेकिन यह एक अनिवार्य आपातकालीन निर्णय था।
इसी तरह, उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले में 3 से 6 नवंबर, 2025 तक गंगा स्नान मेले के कारण छुट्टी घोषित की गई थी — यह बिहार के लिए एक अलग घटना है, लेकिन इससे पता चलता है कि शिक्षा विभाग कितनी लचीली नीति अपना रहा है।
क्यों यह कैलेंडर अहम है?
इस बार बिहार शिक्षा विभाग ने केवल छुट्टियों का दायरा नहीं बढ़ाया, बल्कि इसे एक अच्छी योजना के साथ बनाया है। पिछले कई सालों में छात्रों को अचानक छुट्टियाँ मिलती थीं — जैसे किसी नेता के जन्मदिन पर या किसी अनाधिकृत त्योहार पर। इस बार विभाग ने सभी छुट्टियों को एक अप्रैल से मार्च तक के लंबे चक्र में समेट दिया है।
इसका फायदा यह है कि माता-पिता अपनी छुट्टियाँ, यात्रा और बच्चों के लिए अतिरिक्त शिक्षा के लिए योजना बना सकते हैं। शिक्षकों को भी अब अपनी आराम की योजना बनाने में आसानी होगी।
क्या यह कैलेंडर बदल सकता है?
हाँ — और यही तो असली बात है। बिहार शिक्षा विभाग ने स्पष्ट किया है कि यह कैलेंडर एक निर्देशिका है, लेकिन आपातकालीन परिस्थितियों (जैसे महामारी, बाढ़, या राजनीतिक अशांति) के आधार पर इसमें बदलाव किया जा सकता है। इसलिए, माता-पिता को विभाग की आधिकारिक वेबसाइट और स्थानीय अधिकारियों के संचार पर नजर रखनी चाहिए।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
2025-26 के लिए बिहार के विद्यालयों में कुल कितने दिन छुट्टी होंगी?
2025-26 के शैक्षणिक वर्ष में बिहार के सभी विद्यालयों में कुल 78 दिन की छुट्टियाँ निर्धारित की गई हैं। इसमें गर्मियों की 52 दिन, दिवाली-छठ की 10 दिन, क्रिसमस की 10 दिन, होली की 3 दिन और अन्य धार्मिक एवं राष्ट्रीय छुट्टियों के 3 दिन शामिल हैं। यह संख्या पिछले सालों की तुलना में 12% अधिक है।
क्या निजी स्कूल भी इस कैलेंडर का पालन करेंगे?
हाँ, बिहार शिक्षा विभाग ने स्पष्ट निर्देश दिया है कि इस कैलेंडर का पालन बिहार और झारखंड के सभी सरकारी और निजी विद्यालयों के लिए अनिवार्य है। हालाँकि, निजी स्कूल अपनी आवश्यकता के अनुसार अतिरिक्त छुट्टियाँ दे सकते हैं, लेकिन आधिकारिक छुट्टियों को छोड़ना निषेध है।
ईद और गुरु नानक जयंती की छुट्टी क्यों इतनी अहम है?
यह दोनों छुट्टियाँ बिहार के धार्मिक विविधता को दर्शाती हैं। बिहार में लगभग 17% आबादी मुस्लिम है और 11% सिख है। इन त्योहारों को छुट्टी के रूप में शामिल करने से छात्रों को अपनी सांस्कृतिक पहचान को सम्मानित महसूस करने का अवसर मिलता है — जो शिक्षा में समावेशन का एक बड़ा कदम है।
बिहार दिवस को छुट्टी क्यों दिया गया?
बिहार दिवस (22 मार्च) को छुट्टी के रूप में शामिल करने का उद्देश्य राज्य के इतिहास और सांस्कृतिक गौरव को छात्रों के सामने लाना है। यह दिन 1912 में बिहार के अलग राज्य बनने की याद दिलाता है। इससे बच्चों को स्थानीय इतिहास के प्रति जागरूकता विकसित होगी।
अगर किसी विद्यालय ने छुट्टी नहीं दी, तो क्या कार्रवाई होगी?
अगर कोई विद्यालय आधिकारिक छुट्टियों को नहीं मानता है, तो शिक्षा विभाग उसके वित्तीय सहायता पर रोक लगा सकता है या उसकी अनुमति निलंबित कर सकता है। इसके लिए अभिभावक या शिक्षक विभाग के शिकायत निवारण पोर्टल पर शिकायत दर्ज कर सकते हैं।
क्या यह कैलेंडर बिहार के बाहर भी लागू होता है?
हाँ, यह कैलेंडर झारखंड के सभी शिक्षा संस्थानों के लिए भी लागू है, क्योंकि दोनों राज्यों के शिक्षा विभागों ने संयुक्त रूप से इसे तैयार किया है। यह एक ऐतिहासिक सहयोग है — जिसमें दो राज्यों ने अपने छात्रों के लिए एक समान शैक्षणिक अवधि बनाने का फैसला किया है।