पीएम मोदी ने साधा निशाना, नवीन पटनायक की सेहत को लेकर 'साजिश' का लगाया आरोप
पीएम मोदी का बड़ा आरोप
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में ओडिशा के बारिपदा में आयोजित एक जनसभा के दौरान यह दावा किया कि मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की स्वास्थ्य स्थिति में अचानक आई गिरावट के पीछे कोई 'साजिश' है। उन्होंने जोर देकर कहा कि बगैर किसी ठोस सबूत के यह दावा कर रहे हैं, लेकिन सच्चाई यही है। मोदी का कहना था कि इस मामले की जांच की जाएगी, यदि बीजेपी को आगामी विधानसभा चुनावों में जीत मिलती है और राज्य में सरकार बनाती है। उन्होंने इस संदर्भ में एक समिति बनाने का भी आश्वासन दिया।
वीके पांडियन बने निशाने पर
प्रधानमंत्री मोदी का हमला वीके पांडियन पर भी लक्षित था, जो कि बीजेडी के वरिष्ठ नेता हैं और नवीन पटनायक के निकट सहयोगी माने जाते हैं। पांडियन पर यह आरोप लगाया गया है कि वह मुख्यमंत्री के हर फैसले को नियंत्रित करते हैं और उनके ऊपर अत्यधिक प्रभाव डालते हैं। मोदी के इस बयान के बाद अन्य बीजेपी नेताओं ने भी पांडियन पर हमले तेज कर दिए हैं।
गृह मंत्री अमित शाह और असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा भी पांडियन पर निशाना साधते हुए उन्हें 'तमिल बाबू' कहकर संबोधित करने लगे। उनका कहना है कि वीके पांडियन बिना किसी इल्जाम से बचने की कोशिश कर रहे हैं और राज्य की राजनीति में अनावश्यक हस्तक्षेप कर रहे हैं।
नवीन पटनायक की प्रतिक्रिया
मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि उनकी सेहत बिल्कुल ठीक है और बीजेपी द्वारा लगाए गए सारे आरोप निराधार और झूठे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि यह सब बीजेपी की एक चाल है ताकि आगामी चुनावों में वोटरों को प्रभावित किया जा सके। पटनायक ने लोगों से अपील की कि वे इस झूठे प्रचार से गुमराह न हों और सही निर्णय लें।
बीजेपी का चुनावी रणनीति
बीजेपी को आगामी विधानसभा चुनावों और लोकसभा चुनावों में जीत हासिल करने के लिए यह देखना बहुत महत्वपूर्ण है कि ओडिशा में उसके पक्ष में कितने फीसदी वोट जाते हैं। अब तक बीजेपी ने इस राज्य में कभी भी सत्ता नहीं हासिल की है। इस बार पार्टी के नेताओं का कहना है कि वे पूरी मजबूती से चुनाव मैदान में उतरेंगे और जनता के बीच जाकर अपनी बात रखेंगे।
ओडिशा की राजनीति में नवीन पटनायक का बड़ा वर्चस्व रहा है और बीजेडी ने राज्य में लगातार चुनाव जीतते हुए अपना दबदबा बनाए रखा है। लेकिन अब बीजेपी ने कमर कस ली है और पूरी कोशिश में है कि इस बार चुनावों में वे अपनी पकड़ मजबूत करें। naveen patnaik को चुनौती देने के लिए बीजेपी ने कई बड़े नामों को मैदान में उतारा है और उनकी रैलियों में भीड़ जुटाने की कोशिश की जा रही है।
चुनावी गतिविधियां तेज
चुनाव नजदीक आते ही राज्य की राजनीति भी गरमा गई है और बयानबाजी का दौर तेज हो गया है। सभी पार्टियाँ अपनी रणनीतियां बनाने में व्यस्त हैं और जनता के बीच जाकर अपने पक्ष में माहौल बनाने की कोशिश कर रही हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि ओडिशा की राजनीतिक सागर में इस बार कौन सी पार्टी सफल हो पाती है और सत्ता की चाबी किसके हाथों में जाती है। जनता का फैसला आखिरकार सर्वोपरि होता है और वही तय करेगा कि अगला मुख्यमंत्री कौन होगा।
पिछले कुछ समय से राज्य में चुनावी गतिविधियों के चलते जनता में भी एक नई जागरूकता आ गई है। लोग उम्मीदवारों और उनकी नीतियों पर गहन चर्चा कर रहे हैं। किसी भी चुनाव में तभी सफलता मिलती है जब जनता का विश्वास हासिल किया जाए, और इसी दिशा में सत्ताधारी और विपक्षी पार्टी दोनों ही प्रयास कर रही हैं।