भारत में ब्लैक फ्राइडे के दिन आईफोन की भारी छूट की खबरें फैल रही हैं, लेकिन ये सब झूठ हैं। एप्पल इंडिया के आधिकारिक डेटा के खिलाफ, द इकोनॉमिक टाइम्स, गैजेट्स 360 और क्रोमा अनबक्स्ड जैसी प्रतिष्ठित साइटों ने iPhone 17, iPhone Air और 2025 की तारीखों के साथ ऐसी डील्स की रिपोर्ट की हैं, जो वास्तविकता से पूरी तरह अलग हैं। ये खबरें न सिर्फ गलत हैं, बल्कि जानबूझकर बनाई गई हैं — और लाखों खरीदार इनके शिकार बन रहे हैं।
कैसे बनी ये झूठी डीलें?
एक खबर में कहा गया कि iPhone 16 की कीमत सिर्फ ₹39,990 है, जबकि एप्पल ने इसे सितंबर 2024 में ₹79,900 पर लॉन्च किया था। यानी 50% छूट! भारत में आईफोन पर अब तक कभी 25% से ज्यादा छूट नहीं दी गई — और वो भी बहुत कम रिटेलर्स द्वारा, जो एप्पल के नियमों को तोड़कर करते हैं। ये ₹39,990 का दावा न सिर्फ असंभव है, बल्कि एप्पल के नीति-निर्माण के खिलाफ है। एप्पल के अनुमोदित रिटेलर्स को मिनिमम एडवरटाइज्ड प्राइस (MAP) पालन करना अनिवार्य है, जिसके तहत फ्लैगशिप मॉडल्स पर 15-20% से अधिक छूट नहीं दी जा सकती।
और फिर आया iPhone Air — एक ऐसा मॉडल जो एप्पल ने कभी बनाया ही नहीं। आज तक 17 साल के इतिहास में एप्पल ने कभी ‘iPhone Air’ नाम का कोई प्रोडक्ट नहीं लॉन्च किया। फिर भी क्रोमा अनबक्स्ड ने इसे ₹54,900 पर बेचने का दावा किया। इसी तरह iPhone 17 की बात की गई, जबकि एप्पल ने अभी तक iPhone 15 सीरीज़ तक ही लॉन्च किया है। iPhone 16 भी सिर्फ सितंबर 2024 में आया था — यानी 2023 में iPhone 17 की बात करना बिल्कुल बेकार है।
2025 की तारीखें: ये क्यों बनाई गईं?
तीनों साइटों के लेखों में एक ही अजीब बात है — सभी में भविष्य की तारीखें दर्ज हैं। एक लेख की डेट नवंबर 29, 2025 लिखी गई है। दूसरे में ‘November 24, 2025’ का जिक्र है। ये तारीखें ऐसी हैं जो अभी तक नहीं आईं। एक लेख में Q3 2025 के लिए स्मार्टफोन शिपमेंट डेटा दिया गया है — लेकिन Q3 2025 तो सिर्फ सितंबर 2025 तक चलता है, और अभी तक वो समय आया ही नहीं।
ये न सिर्फ त्रुटि है — ये जानबूझकर बनाई गई गलत जानकारी है। शायद इन लेखों को किसी ने ऑटो-जेनरेट किया, या फिर किसी ने भविष्य की डेटाबेस डालकर एक बार में सभी लेख बना दिए। इनमें एक ही कंटरपॉइंट रिसर्च का डेटा बार-बार आ रहा है, जो असल में अक्टूबर-नवंबर 2023 का है। ये डेटा 2025 के लिए बदल दिया गया है।
कौन है जिम्मेदार? और क्यों ये चल रहा है?
एप्पल इंडिया के पास कोई ऐसा अधिकार नहीं है जिससे वो इन लेखों को रोक सके। लेकिन ये लेख उनके नाम पर बनाए जा रहे हैं — और ये नुकसान उनकी ब्रांड विश्वसनीयता को भी नुकसान पहुंचा रहा है। इन लेखों को देखकर ग्राहक सोचते हैं कि एप्पल अचानक सस्ता हो गया है। वे एक्सपेक्टेशन बनाते हैं, ऑनलाइन खरीदारी करते हैं, और फिर निराश हो जाते हैं।
ये सब तब तक चलता रहेगा जब तक किसी को जवाबदेह नहीं ठहराया जाता। द इकोनॉमिक टाइम्स के लेख में कोई लेखक का नाम नहीं है। कोई पब्लिशिंग टाइमस्टैम्प नहीं। कोई करेक्शन नहीं। ये भारतीय प्रेस काउंसिल के नियमों का सीधा उल्लंघन है।
क्रोमा अनबक्स्ड, जो टाटा ग्रुप की सहायक कंपनी है, ने अपने ब्रांड को भी खतरे में डाल दिया है। एक टाटा कंपनी ऐसी झूठी जानकारी क्यों फैला रही है? शायद इसका उद्देश्य ट्रैफिक बढ़ाना है — लेकिन इसकी कीमत उन लोगों की विश्वासयोग्यता है जो इन साइटों पर भरोसा करते हैं।
ये सब क्यों खतरनाक है?
इन झूठी डील्स का असर सिर्फ एक दिन का नहीं है। ये लोगों को अपने पैसों के बारे में गलत फैसले लेने के लिए मजबूर कर रहे हैं। लोग अपने बजट के अनुसार आईफोन खरीदने की योजना बनाते हैं — फिर जब वो देखते हैं कि ये डील नहीं है, तो वो सोचते हैं कि आईफोन ही महंगा है। ये एक ब्रांड के खिलाफ नहीं, बल्कि डिजिटल जानकारी के पूरे प्रणाली के खिलाफ हमला है।
भारत में हर साल ब्लैक फ्राइडे पर 50 मिलियन से ज्यादा लोग ऑनलाइन खरीदारी करते हैं। इनमें से बहुत से लोग टेक न्यूज़ साइट्स पर भरोसा करते हैं। अगर वो झूठ बोल रही हैं, तो लोगों का विश्वास टूट रहा है। और जब विश्वास टूट जाए, तो फिर कोई भी खबर असली लगेगी नहीं।
अगला कदम क्या होगा?
अभी तक कोई भी संस्था — चाहे प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया हो या डिजिटल प्लेटफॉर्म — ने इन लेखों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की है। लेकिन अगर ये चलता रहा, तो ये एक बड़ा स्कैंडल बन सकता है। एप्पल ने अपने अनुमोदित रिटेलर्स के साथ अपने नियम लागू किए हैं। अब ये समय है कि वो इन फेक न्यूज़ साइट्स के खिलाफ भी आवाज उठाए।
भारतीय न्यूज़ इकोसिस्टम को अपनी विश्वसनीयता बहाल करने की जरूरत है। ये नहीं कि हर चीज़ जो बड़ी साइट पर आए, वो सच हो। अगर आपको एक लेख में iPhone 17 और 2025 की तारीख दिखे, तो वो झूठ है — और आपको उसे शेयर नहीं करना चाहिए।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
क्या iPhone 16 पर कभी ₹39,990 की कीमत संभव है?
नहीं। एप्पल के अनुमोदित रिटेलर्स के लिए न्यूनतम विज्ञापन मूल्य (MAP) के अनुसार, iPhone 16 पर 20-25% तक ही छूट दी जा सकती है। ₹79,900 की कीमत पर ₹39,990 का दावा 50% छूट के बराबर है — जो एप्पल के नियमों और भारतीय बाजार के इतिहास दोनों के खिलाफ है।
iPhone Air क्या है? क्या एप्पल ने कभी ऐसा मॉडल बनाया है?
iPhone Air एक बिल्कुल नकली मॉडल है। एप्पल ने 2007 से आज तक कभी भी ‘iPhone Air’ नाम का कोई प्रोडक्ट लॉन्च नहीं किया है। यह नाम एप्पल के iPad Air या MacBook Air से गलत तरीके से जोड़ा गया है — जो एक स्पष्ट भ्रम का इरादा है।
क्यों ये साइटें भविष्य की तारीखें इस्तेमाल कर रही हैं?
ये तारीखें लेखों को ‘अपडेटेड’ दिखाने के लिए डाली गई हैं — ताकि गूगल या सोशल मीडिया पर ज्यादा ट्रैफिक मिले। यह एक टेक्निकल धोखा है जिसका इस्तेमाल अक्सर फेक न्यूज़ वेबसाइट्स करती हैं। असली डेटा 2023 का है, लेकिन इसे 2025 के रूप में फर्जी बनाकर दिखाया जा रहा है।
क्या एप्पल इंडिया इन झूठी खबरों के खिलाफ कुछ कर रहा है?
अभी तक एप्पल इंडिया ने कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है। हालांकि, उनकी वेबसाइट पर iPhone 17 या iPhone Air का कोई जिक्र नहीं है, जो साबित करता है कि ये मॉडल अस्तित्व में नहीं हैं। अगर ये झूठी खबरें जारी रहीं, तो एप्पल को लीगल एक्शन की ओर बढ़ना होगा।
कैसे पहचानें कि कोई डील असली है या झूठी?
सबसे पहले, एप्पल की ऑफिशियल वेबसाइट (apple.com/in) पर जाएं। फिर देखें कि वही मॉडल और कीमत वहां दिख रही है या नहीं। अगर कोई डील 30% से ज्यादा की छूट का दावा कर रही है, तो ये लगभग निश्चित रूप से झूठ है। तारीखें भी चेक करें — अगर भविष्य की तारीख है, तो ये फेक है।
क्या ये घटना भारतीय न्यूज़ मीडिया के लिए खतरा है?
बिल्कुल। ये एक बड़ा संकट है। जब बड़ी संस्थाएं झूठी खबरें प्रकाशित करती हैं, तो लोगों का विश्वास टूटता है। अगर आज आईफोन की डील झूठी है, तो कल किसी बीमा या बैंक की खबर क्यों नहीं हो सकती? ये न्यूज़ की विश्वसनीयता के खिलाफ एक बड़ा हमला है।
Vaneet Goyal
नवंबर 29, 2025 AT 23:04इन झूठी डील्स को देखकर लगता है कि कुछ लोग ट्रैफिक के लिए बिल्कुल भी नहीं सोचते, बस गूगल के एल्गोरिदम को फंसाने की कोशिश कर रहे हैं। iPhone 17? अभी तो iPhone 15 का बाजार भी पूरा नहीं हुआ, और ये लोग 2025 की डील्स लिख रहे हैं। ये न्यूज़ नहीं, बल्कि डिजिटल भ्रम है।
Alok Kumar Sharma
दिसंबर 1, 2025 AT 08:47फेक न्यूज़ का ये सबसे बड़ा रूप है। एक बार लोगों को झूठ से विश्वास बन गया, तो असली खबरें भी झूठ लगेंगी।
Tanya Bhargav
दिसंबर 2, 2025 AT 05:38मैंने भी इसी तरह की एक डील पर क्लिक किया था, और फिर पता चला कि वो लेख नवंबर 2025 की डेट से लिखा गया है। बस एक लिंक था, जिस पर क्लिक करने के बाद एक ऐप डाउनलोड करने को कहा गया। अब मैं हर लेख की डेट चेक करती हूँ।
Sanket Sonar
दिसंबर 2, 2025 AT 06:18MAP नीति का उल्लंघन नहीं, बल्कि इंफोवार्यर एक्सप्लॉइटेशन है। एप्पल के रिटेलर नियमों को तोड़ने की बजाय, ये साइटें डेटाबेस टेम्पलेट्स का इस्तेमाल कर रही हैं - एक ऑटो-जेनरेटेड फेक न्यूज़ पाइपलाइन। ट्रैफिक के लिए एक्सप्लॉइटेशन, न कि कंटेंट।