Maa फिल्म पर सोशल मीडिया की तीखा बहस: काजोल का दमदार अभिनय बना मुख्य आकर्षण

काजोल का दमदार प्रदर्शन और दर्शकों की प्रतिक्रिया
जब 2025 की नई हॉरर फिल्म काजोल ने मातरूप में अपने किरदार को अपना लिया, तो सोशल मीडिया पर चर्चा का कारवां शुरू हो गया। ‘Maa’ में वह एक माँ की भूमिका में हैं जो अलौकिक ताकतों से लड़ रही है। कई दर्शकों ने कहा कि उनका इमोशन और इंटेंसिटी सीधे दिल को छू गई। एक टिप्पणी में लिखा था, "काजोल मातरुप में पहली बार नहीं, लेकिन इस तरह की फोक हॉरर में पहली बार पूरी ताकत से झुंझल रही हैं।"
समीक्षकों ने भी काजोल की परफॉर्मेंस को फिल्म का सबसे बड़ा प्लस बताया। उनके चेहरे के छोटे-छोटे एक्सप्रेशन, आँखों की निराशा और कभी‑कभी गुस्से की चमक ने दर्शकों को कहानी में खींचा। एक लोकप्रिय ट्विटर थ्रेड में कई उपयोगकर्ताओं ने काजोल को "भयावह माँ" का शीर्षक देकर प्रशंसा की।
रॉनित रॉय ने पति का किरदार निभाया है, जिसे दर्शकों ने "सॉलिड सपोर्ट" कहा। बच्चे एक्टर्स की भी काबिल‑ए‑तारीफ़ एक्टिंग ने फिल्म को एक परिवारिक माहौल दिया, जिससे कई लोग इसे एक बार देखने का सुझाव दे रहे हैं।

फिल्म की कमियां, तकनीकी खामियां और मिश्रित दर्शक प्रतिक्रियाएँ
जबकि काजोल की एक्टिंग पर बकलौला तालियों की गड़गड़ाही थी, फिल्म के बाकी पहलुओं पर कई सवाल उठे। सबसे बड़ी शिकायत थी कहानी की पूर्वानुमेयता। कई दर्शकों ने कहा कि प्लॉट बहुत सादा और कॉमन हॉरर ट्रॉप्स से भरा हुआ था, जिससे सिनेमाघरों में बोरियत महसूस हुई।
गति (पेसिंग) भी एक बड़ा मुद्दा बना। फिल्म के शुरुआती हिस्से में धीरे‑धीरे buildup था, लेकिन मध्य में रुकावटें और अनावश्यक साइड स्टोरीज ने दर्शकों को थका दिया। एक यूज़र ने टिप्पणी की, "अगर फिल्म को 90 मिनट में टाइट किया जाता तो ये दर्दनाक भरपूर डरगाह बना रहता।"
विज़ुअल इफेक्ट्स (VFX) पर भी तीखा हमला हुआ। बजट के बावजूद CGI को कम लागत वाला कहा गया। अलौकिक इकाई, जो डरावनी होने के लिए बाइट थी, कई लोगों की राय में "हसाने लायक" बन गई। एक टिप्पणी में लिखा था, "इतना सस्ता VFX देख कर लोह-भूलभुलैया में फंस गया।"
- कहानी में अनुमानित मोड़
- धीमी गति और अनावश्यक पैराग्राफ
- सस्ती CGI और डरावनी प्रभावों की कमी
- जेनर में असंगतता – क्या यह हॉरर है या परिवारिक ड्रामा?
‘Maa’ का शैतिक (mythological) आधार, यानी कलि‑रक्तबीज पौराणिक कथा, कई दर्शकों को आकर्षित किया। वे इसे भारतीय पौराणिक तत्वों को आधुनिक रूप में पेश करने की कोशीश मानते हैं। हालांकि, इस पौराणिक परत को एकीकृत करने में भी फिल्म की पकड़ ढीली रही। कुछ ने कहा कि फिल्म "पितृसत्ता और महिला शक्ति" के मुद्दों को उठाती है, परंतु उनका निरूपण असमान है।
समग्र रूप से, दर्शकों ने फिल्म को "एक बार देखे जाने लायक" बताया, विशेषकर काजोल के फैंस के लिए। कई लोग OTT रिलीज़ का इंतजार करने की सलाह दे रहे हैं, क्योंकि बड़े स्क्रीन पर कम बजट VFX और धीमी कहानी को सहना मुश्किल हो सकता है। अंत में, काजोल की परफॉर्मेंस ने फिल्म को आवश्यकता से अधिक इंटेंसिटी दी, जिससे यह देखी जा सकने वाली एक न्यूनतम हॉरर अनुभव बन गई है।