वैष्णो देवी भूस्खलन: अर्धकुवारी मार्ग पर 30 की मौत, 23 घायल; यात्रा रोकी गई

वैष्णो देवी भूस्खलन: अर्धकुवारी मार्ग पर 30 की मौत, 23 घायल; यात्रा रोकी गई

अर्धकुवारी के पास पहाड़ी टूटी, सैकड़ों फंसे; कटरा-भवन ट्रैक बंद

जम्मू-कश्मीर के रियासी ज़िले में माता वैष्णो देवी के मार्ग पर मंगलवार, 26 अगस्त 2025 की दोपहर बड़ा हादसा हुआ। अर्धकुवारी के पास इंदरप्रस्थ भोजनालय के नज़दीक पहाड़ का हिस्सा अचानक सरक गया। मलबे की चपेट में आए श्रद्धालुओं में 30 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है और 23 घायल अस्पतालों में इलाज करा रहे हैं। दिन भर हुई जोरदार बारिश के बीच प्रशासन ने दोपहर 1:30 बजे ही यात्रा स्थगित कर दी थी, लेकिन लगभग 3 बजे भारी भूस्खलन हो गया। बारिश, ढलानों की नमी और संकरे ट्रैक ने हालात को और मुश्किल बना दिया।

कटरा से भवन तक का 12 किलोमीटर का ट्रेक सामान्य दिनों में हजारों लोगों का दबाव झेलता है। इस रास्ते के मध्य बिंदु अर्धकुवारी — जहां गर्भ जूं गुफा स्थित है — के आस-पास ढलानें खड़ी हैं और बरसात में अक्सर छोटे-छोटे स्लाइड होते हैं। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया, जैसे ही ऊपर की तरफ मिट्टी और पत्थर खिसकने लगे, रास्ते पर भगदड़ जैसा माहौल बन गया। बनारस से आए सतीश कुमार ने कहा कि गर्भ जूं क्षेत्र में लगातार पत्थर गिरते दिखे और कुछ ही मिनटों में दृश्य अराजक हो गया। अमृतसर के सनी गिरी अपने साथियों में से पांच लोगों से संपर्क न होने की बात कहते हुए बेहद चिंतित दिखे।

हादसे के बाद पूरे ट्रैक को खाली कराया गया। श्रद्धालुओं को सुरक्षित जगहों और आश्रयों में रोका गया। मलबे में अभी भी कुछ लोगों के फंसे होने की आशंका को देखते हुए राहत दल भारी मशीनों और कटर्स की मदद से पत्थर और चट्टानें हटाने में जुटे हैं। खराब मौसम के कारण सेकेंडरी स्लाइड का खतरा बना है, इसलिए टीमें हर कुछ मीटर पर ढाल का स्थायित्व जांचकर आगे बढ़ रही हैं।

श्रद्धालुओं को सलाह दी गई है कि वे अगले आदेश तक यात्रा की योजना टाल दें और अफवाहों से बचें। श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड ने आधिकारिक रूप से ऑपरेशन और क्लियरेंस पूरा होने तक ट्रैक बंद रखने की घोषणा की है। बोर्ड ने बताया कि सुरक्षा, सफाई और ढलानों की तकनीकी जांच के बाद ही रास्ता खोला जाएगा।

इस पूरे घटनाक्रम का केंद्र एक ही बात है—आज का वैष्णो देवी भूस्खलन बारिश की उस तीव्रता के बीच हुआ जो सुबह से लगातार क्षेत्र को भिगो रही थी। कटरा-भवन मार्ग पर जहां-जहां पानी का बहाव तेज था, वहां ढलानों से मिट्टी बहकर नीचे आई और कुछ जगहों पर पथरीले हिस्से टूटे। अर्धकुवारी की तरफ वह हिस्सा जहां पर्यटक शेड और भोजनालय हैं, सामान्य से ज्यादा दबाव झेल रहा था।

राहत-बचाव, ट्रेनों पर असर और सुरक्षा के बड़े सवाल

राहत-बचाव में NDRF, SDRF, भारतीय सेना, जम्मू-कश्मीर पुलिस और स्थानीय स्वयंसेवक एक साथ काम कर रहे हैं। प्राथमिकता मलबे में फंसे लोगों तक पहुँचना, घायलों को नीचे कटरा स्थित अस्पतालों तक ले जाना और ट्रैक को सुरक्षित बनाना है। कई घायलों को स्थल पर ही प्राथमिक इलाज देकर आगे रेफर किया गया। रात के ऑपरेशन के लिए जनरेटर, फ्लडलाइट और जल-निकासी उपकरण लगाए गए हैं, ताकि बारिश के बीच भी काम जारी रहे।

केंद्र सरकार ने तुरंत प्रतिक्रिया दी। गृह मंत्री अमित शाह ने घटना को "बेहद दुखद" बताते हुए NDRF की अतिरिक्त टीमों को भेजने की जानकारी दी। प्रशासनिक स्तर पर लगातार मॉनिटरिंग हो रही है और मौसम का अपडेट लेकर ऑपरेशन की गति तय की जा रही है।

परिवहन बुरी तरह प्रभावित हुआ है। उत्तरी रेलवे ने जम्मू तवी और कटरा की ओर जाने-आने वाली 22 ट्रेनों को रद्द किया, 27 को शॉर्ट-टर्मिनेट किया गया। पठानकोट कैंट—कंदरौरी डाउन लाइन पर ट्रैफिक सस्पेंशन की वजह से 18 ट्रेनें खास तौर पर रद्द करनी पड़ीं। वजह वही—लगातार बारिश से मिट्टी कटाव, चक्की नदी में बाढ़ और पटरियों के किनारे का कमजोर पड़ना। सड़क नेटवर्क पर भी असर है; कई अंदरूनी पुलों और कल्वर्ट को नुकसान से यातायात सीमित किया गया है। बिजली लाइनों और मोबाइल टावरों में आई तकनीकी दिक्कतों के कारण कुछ इलाकों में संचार रुक-रुक कर चल रहा है।

यह हादसा ऐसे वक्त में हुआ है जब ठीक 12 दिन पहले किश्तवाड़ के चिरोटी (चिसोटी) क्षेत्र में बादल फटने के बाद आई अचानक बाढ़ में 65 लोगों की जान गई थी। उनमें बड़ी संख्या में मचैल माता की ओर जा रहे श्रद्धालु शामिल थे और 100 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। दो बड़े हादसों की यह नज़दीकी समय-रेखा बताती है कि पहाड़ी इलाकों में मानसून के दौरान तीव्र वर्षा-घटनाएं कितनी घातक हो सकती हैं।

श्राइन मार्ग की भौगोलिक स्थिति भी चुनौती बढ़ाती है। पहाड़ी कटाव, जल-निकासी में अड़चन और वनस्पति की ऊपरी परत के बह जाने से ढलानें कमजोर पड़ती हैं। बरसात में जब कुछ घंटों में अत्यधिक पानी गिरता है, तो ढलानों के अंदर जमा नमी मिट्टी को फिसलाऊ बना देती है। जहां पक्का ट्रैक और रिटेनिंग वॉल हैं, वहां खतरा कम होता है; लेकिन जैसे ही ऊपर की ढलान से एक बड़ा बोल्डर टूटकर नीचे आता है, संकरा मार्ग क्षणों में बंद हो सकता है।

यही वजह है कि यात्रा प्रबंधन में मौसम-आधारित “डायनामिक क्लोज़र” सबसे अहम है। आज की तरह समय से यात्रा रोकना कई जिंदगियां बचा सकता है—लेकिन इसके साथ कुछ और कदम जुड़ने चाहिए: ढलानों पर रॉक-फॉल नेटिंग, अतिरिक्त ड्रेनेज चैनल, ऊपर के जल-संग्रह क्षेत्रों की नियमित सफाई और हाई-रिस्क ज़ोन्स में वास्तविक समय की निगरानी। बारिश नापने वाले स्वचालित गेज, सायरन-आधारित चेतावनी और ढलान में हलचल पकड़ने वाले सेंसर, ये सब मिलकर समय रहते खतरे का संकेत दे सकते हैं।

भीड़ प्रबंधन भी उतना ही ज़रूरी है। 2022 से RFID-आधारित पंजीकरण कार्ड यात्रा में लागू हैं, जिनसे वास्तविक समय में फुटफॉल ट्रैक करना आसान हुआ। इन्हीं डेटा के आधार पर ऊंचे जोखिम के समय बैच साइज और एंट्री स्लॉट घटाए जा सकते हैं। ट्रैक के संवेदनशील हिस्सों—अर्धकुवारी, संजीछत्त, और वक्र मोड़ों—पर अस्थायी शेल्टर, एंटी-स्किड फर्श और फिसलन-रोधी रेलिंग जैसी छोटी-बड़ी चीजें बड़ी दुर्घटनाओं को टाल सकती हैं।

स्वास्थ्य आपातकाल के लिए कटरा और अर्धकुवारी के बीच रणनीतिक बिंदुओं पर मोबाइल मेडिकल यूनिट्स, स्ट्रेचर-बे और ऑक्सीजन सपोर्ट की उपलब्धता जीवन रक्षक साबित होती है। आज के ऑपरेशन में सबसे बड़ी चुनौती रही—मौसम की मार के बीच तेजी से ट्रायएज करना और घायलों को नीचे लाना। हेलिकॉप्टर निकासी बरसात और कम दृश्यता में सीमित रहती है, इसलिए ग्राउंड-रूट को हर हाल में सुरक्षित रखना पड़ता है।

स्थानीय अर्थव्यवस्था का पहलू भी ध्यान देने योग्य है। यात्रा बंद होने से पोनी-वाले, पालकी-बेयरर्स, लंगर और छोटे दुकानदारों की रोज़ी पर तुरंत असर पड़ता है। इसलिए लंबे समय के समाधान में सुरक्षा के साथ-साथ वैकल्पिक जीविका और बीमा कवर का प्रावधान भी शामिल होना चाहिए, ताकि मौसम की मार उनके परिवारों पर न टूटे।

फिलहाल प्राथमिकता राहत-बचाव और ट्रैक की मरम्मत है। जैसे ही मौसम नरम पड़ेगा, ढलानों की इंजीनियरिंग ऑडिट, ढीले पत्थरों की क्लीनिंग, ड्रेनेज दुरुस्ती और सिग्नेज अपडेट किए जाएंगे। इसके बाद ही चरणबद्ध तरीके से ट्रैक खोलने पर विचार होगा।

यात्रा पर आने वालों के लिए काम की बातें:

  • मौसम खराब हो तो यात्रा टालें; आधिकारिक अपडेट देखकर ही निकलें।
  • बारिश में शेड या अधिकृत आश्रयों में रुकें; शॉर्टकट या कच्चे पथ से बचें।
  • फिसलन-रोधी जूते, रेनकोट/पोंचो, टॉर्च और छोटा फर्स्ट-एड किट साथ रखें।
  • समूह में रहें, बच्चों और बुजुर्गों पर खास नज़र रखें; आपातकालीन संपर्क नंबर कलाई-बैंड/कार्ड पर लिखकर रखें।
  • पुलिस और श्राइन बोर्ड के निर्देशों का पालन करें; भीड़ बढ़ने पर लौटने में हिचकें नहीं।

आज की त्रासदी ने फिर याद दिलाया कि प्राकृतिक आपदाएं चेतावनी देकर नहीं आतीं, लेकिन सजग सिस्टम और अनुशासन कई जिंदगियां बचा सकता है। प्रशासन ने लोगों से धैर्य रखने और सहयोग करने की अपील की है। जैसे-जैसे राहत-बचाव आगे बढ़ेगा, मृतकों की पहचान, घायलों की स्थिति और ढांचागत नुकसान का स्पष्ट आंकड़ा सामने आएगा। तब तक सबसे बड़ा काम—रास्ते में फंसे हर एक इंसान को सुरक्षित निकालना—जारी है।

20 टिप्पणि

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    Manali Saha

    अगस्त 27, 2025 AT 18:34

    भाईयो और बहनो!! वैष्णो देवी का सफ़र अब और अधिक ख़तरे में है!!! बारिश और मिट्टी का साथ, सबको सावधान रहने की जरूरत है!!! आधिकारिक अपडेट देखिए और यात्रा न करें!!!

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    jitha veera

    अगस्त 28, 2025 AT 11:14

    भले ही प्रशासन ने कहा कि ये दुर्लभ घटना थी, लेकिन असली समस्या है निरंतर ढलान की गलत डिजाइन! ये ट्रैक सालों से बेतहाशा भारी ट्रैफ़िक ले रहा है, और फिर भी कोई टिकाऊ समाधान नहीं आता! यदि इंजीनियरिंग टीम ने सही रिटेनिंग वॉल नहीं लगाई होती, तो आज का बाढ़ जैसा हादसा नहीं होता! सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्यों हर साल यही गड़बड़ी दोहराई जाती है!

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    Sandesh Athreya B D

    अगस्त 29, 2025 AT 03:54

    ओह भई, बारिश में कूदते‑कूदते कब्रिस्तान बन गया अर्धकुवारी! क्या ड्रामा है, मानो कोई फिल्म की क्लिफहैंगर हो! ज़्यादा भावनात्मक न बनो, बस सावधानी से ट्रैक छोड़ दो!

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    Jatin Kumar

    अगस्त 29, 2025 AT 20:34

    सभी को नमस्ते, इस हादसे से बहुत दुःख हुआ। हम सबको समझना चाहिए कि प्रकृति की मार को कम नहीं किया जा सकता, लेकिन हम उसकी तैयारी कर सकते हैं।
    पहले तो राहत‑बचाव टीमों को हमारा पूरा सहयोग देना चाहिए; उनकी कोशिशों में कोई कसर नहीं रखनी।
    दूसरा, भविष्य में इस तरह के मार्गों के लिए बेहतर ड्रेनेज और रिटेनिंग वॉल की आवश्यकता है, जिससे ढलानों का स्थायित्व बना रहे।
    तीसरा, यात्रियों को लंबी दूरी की यात्राओं में उचित गियर-जैसे फिसलन‑रोधी जूते, रेनकोट और प्राथमिक उपचार किट-ले जाना चाहिए।
    चौथा, स्थानीय लोगों को भी ट्रेनिंग देना जरूरी है कि वे आपातकाल में कैसे मदद कर सकते हैं।
    पंचवें, प्रशासन को लगातार मौसम की निगरानी के साथ रीयल‑टाइम अलर्ट सिस्टम स्थापित करना चाहिए।
    छठा, ट्रैक पर RFID‑आधारित पंजीकरण से भीड़ नियंत्रण में मदद मिलती है, इसलिए इसे सभी शिखर पर लागू किया जाना चाहिए।
    सातवाँ, बाढ़ के बाद के सेकेंड्री स्लाइड के खतरे को देखते हुए हर कुछ मीटर पर ढलानों की जाँच आवश्यक है।
    आठवाँ, स्थानीय व्यापारियों को इस अस्थायी बंद की सूचना चाहिए ताकि वे अपनी आय की योजना बना सकें।
    नवाँ, यात्रा बंद होने के दौरान वैकल्पिक जीविका के लिए कुछ बीमा या सरकारी सहायता कार्यक्रम चाहिए।
    दसवाँ, इस तरह की त्रासदी को दोबारा न दोहराने के लिए सरकार को नीतियों में बदलाव चाहिए।
    ग्यारहवाँ, हम सभी को इस बात का एहसास होना चाहिए कि सहायता केवल सरकारी नहीं, बल्कि सामाजिक भी है।
    बारहवाँ, इस घटना से सीख लेकर भविष्य में बेहतर सुरक्षा उपाय अपनाए जा सकते हैं।
    तेरहवाँ, मैं आशा करता हूँ कि सभी घायलों की शीघ्र स्वास्थ्य लाभ हो।
    चौदहवाँ, अंत में, सभी श्रद्धालुओं से विनती है कि वे आधिकारिक निर्देशों का पालन करें और अनावश्यक जोखिम न उठाएँ।
    पंद्रहवाँ, आइए हम सब मिलकर इस कठिन घड़ी में एक दूसरे की मदद करें।
    सोलहवाँ, भगवान हमारी सहायता करें और यह मार्ग शीघ्र फिर से सुरक्षित हो।

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    Anushka Madan

    अगस्त 30, 2025 AT 13:14

    ऐसे खतरनाक परिस्थितियों में यात्रा जारी रखना बिल्कुल बर्दाश्त नहीं किया जा सकता, प्रशासन को तुरंत सख़्त कार्रवाई करनी चाहिए! यह घोर लापरवाही है कि लोगों की जान को खतरे में डाल दिया गया।

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    nayan lad

    अगस्त 31, 2025 AT 05:54

    राहत‑बचाव कार्य में टीमों को हेलीकॉप्टर की बजाय ठोस ग्राउंड‑आधारित प्लान पर काम करना चाहिए, ताकि मलबे में फंसे लोगों तक जल्दी पहुंचा जा सके।

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    Govind Reddy

    अगस्त 31, 2025 AT 22:34

    एक बार जब हम प्रकृति की अजेयता को मान लेते हैं तो हमारी सोच का विस्तार होता है; इस बँधाव भी हमें मानवता की सीमाओं की याद दिलाता है।

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    KRS R

    सितंबर 1, 2025 AT 15:14

    भाई, वो ट्रैक अब खुलना ही नहीं चाहिए जब तक कि वैज्ञानिक तौर पर सब कुछ साफ‑साफ दिखे नहीं।

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    Uday Kiran Maloth

    सितंबर 2, 2025 AT 07:54

    उपर्युक्त घटनाओं से यह स्पष्ट होता है कि वैष्णो‑देवी मार्ग पर प्रयोगशाला‑स्तरीय भू‑भौतिकीय मूल्यांकन, सुदृढ़ ढलान स्थायित्व गणना, तथा पुनरावृत्ति‑रहित जल‑निकासी मॉडल अनिवार्य हैं; इन मानकों का अनुपालन न होने पर सार्वजनिक सुरक्षा में गंभीर खतरा उत्पन्न होगा।

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    Deepak Rajbhar

    सितंबर 3, 2025 AT 00:34

    वाह! फिर से वही कहानी, जैसे हर साल नई चाबी के बिना फेंटी गई खिड़की, लेकिन कोई सुधार नहीं! 😒 ऑपरेशन का रूटीन तो चलते रहना चाहिए, पर सुधार की बात तो दूर की बात है।

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    Hitesh Engg.

    सितंबर 3, 2025 AT 17:14

    मैं इस बात से पूरी तरह सहमत हूँ कि हमें इस दुर्घटना से कई सबक सीखना चाहिए। सबसे पहले, मौसम की तीव्रता को ध्यान में रखकर ट्रैक की संरचनात्मक पुनरावृत्ति करनी चाहिए। दूसरा, ट्रैफ़िक को नियंत्रित करने के लिए RFID‑आधारित पंजीकरण का प्रयोग जरूरी है। तीसरा, स्थानीय और राष्ट्रीय मीडिया को सटीक जानकारी प्रदान करनी चाहिए, ताकि अति‑उत्साह या डर नहीं बने। चौथा, राहत‑बचाव में तेज़ी से कार्य करने के लिए ड्रोन सर्वे का उपयोग बढ़ाया जाना चाहिए। पाँचवा, बछराँ में दोबारा ऐसा न हो, इसके लिये एक लगातार मॉनिटरिंग सेंटर स्थापित किया जाना चाहिए। ये सभी बिंदु मिलकर ही भविष्य में ऐसी त्रासदी को रोक सकते हैं।

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    Zubita John

    सितंबर 4, 2025 AT 09:54

    भाई लोग, इसमें टेक्निकल डिटेल्स को समझना ज़रूरी है, वरना जॉब कल्ला में फँस जाओगे। मै पानिक एन्हान्समेंट, ड्रेनेज रिफ्रेसमेंट और रिटेनिंग स्ट्रक्चर पर फोकस करूं।

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    gouri panda

    सितंबर 5, 2025 AT 02:34

    ये क्या नफरत भरा हादसा है! लोगों की ज़िन्दगियों को इस तरह बर्बाद करने वाला कोई बेइज़्ज़त इंसानी दिमाग नहीं, बल्कि बेवकूफ़ी है! 🙅‍♀️

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    Harmeet Singh

    सितंबर 5, 2025 AT 19:14

    आशा है कि इस हादसे से सबको सिखने को मिलेगा कि प्रकृति के सामने कोई भी टेक्नोलॉजी अल्पकालिक है। हमें सतत समाधान की दिशा में सोचना चाहिए, ताकि हर साल ऐसा न हो। 🤝

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    patil sharan

    सितंबर 6, 2025 AT 11:54

    बिल्कुल सही, सबसे पहले बारिश रोको!

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    Nitin Talwar

    सितंबर 7, 2025 AT 04:34

    इस सच्चाई को छुपाने के लिये सरकार एक बड़ी साजिश रचती है, जिससे वो अपने दाग‑धब्बे को छुपा सके! 🤨

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    onpriya sriyahan

    सितंबर 7, 2025 AT 21:14

    हर कोइ सोचता है कि बारिश में म्यूजिक सुनना मज़ा होगा लेकिन ऐसा नहीं होता तबके बुरे डायलॉग्स सीखो

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    Sunil Kunders

    सितंबर 8, 2025 AT 13:54

    परिचय की बात ही नहीं, यह घटना सामाजिक-राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में भी पुनः विश्लेषण योग्य है; तथापि, अति‑आलोचना से कुछ नहीं मिलेगा।

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    suraj jadhao

    सितंबर 9, 2025 AT 06:34

    चलो भाई लोग, मिलकर इस ट्रैक को फिर से सुरक्षित बनाते हैं! 🙌 सरकार, स्थानीय प्रशासन, और हम सबको सहयोग करना होगा! 🌟

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    Agni Gendhing

    सितंबर 9, 2025 AT 23:14

    अरे!!! फिर वही हेय्लाइट! आधी रात को नयी कॉनस्पिरेसी!! लोग कहते है ट्रैक ठोकने वालों को जेल में डालो!!!!; असली कारण बिचौलियों का लोभ है!!

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